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बिना अनुमति कैसे कर देते हैं सड़क जाम, उन पर क्या होती है कार्रवाई ?
सवाल. किशोरगंज चौक जाम मामले में सुनवाई, हाइकोर्ट ने पूछा हाइकोर्ट ने सरकार को बताने का निर्देश दिया है कि बिना अनुमति लिए कैसे जुलूस निकाला या सड़क जाम किया जाता है. और ऐसा करने पर आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है या नहीं? रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश […]
सवाल. किशोरगंज चौक जाम मामले में सुनवाई, हाइकोर्ट ने पूछा
हाइकोर्ट ने सरकार को बताने का निर्देश दिया है कि बिना अनुमति लिए कैसे जुलूस निकाला या सड़क जाम किया जाता है. और ऐसा करने पर आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है या नहीं?
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जाये, ताकि सड़क जाम के दाैरान एंबुलेंस व अग्निशमन वाहनों का आवागमन बाधित नहीं हो सके. उनका आवागमन हरहाल में सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
पति-पत्नी की हत्या मामले में किशोरगंज चाैक को जाम करने को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया गया. एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि इस बिंदु पर क्या कार्रवाई की गयी है. उठाये गये कदमों की पूरी जानकारी देने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने सरकार को यह भी बताने का निर्देश दिया कि बिना अनुमति लिए कैसे जुलूस निकाला या सड़क जाम किया जाता है.
बिना अनुमति के सड़क जाम करनेवालों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गयी? इस तरह की घटनाओं को कैसे रोकेंगे? इससे पूर्व सरकार की अोर से अचानक हुए किसी भी सड़क जाम से निपटने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने से संबंधित जानकारी दी जा चुकी है. उल्लेखनीय है कि 10 जुलाई 2015 को पति-पत्नी की हत्या को लेकर आक्रोशित लोगों ने किशोरगंज चाैक जाम कर दिया था. इस दाैरान सड़क जाम करनेवाले एंबुलेंस को भी जाने नहीं दिया. प्रभात खबर में प्रकाशित खबर को हाइकोर्ट ने जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को रांची के 500 बेड क्षमतावाले नवनिर्मित सदर अस्पताल के संचालन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि अस्पताल का संचालन कब शुरू किया जायेगा. कोर्ट ने इसका संचालन शीघ्र शुरू करने का निर्देश दिया.
एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि सरकार ने सदर अस्पताल के लिए विशाल भवन का निर्माण किया है. इसमें जनता का पैसा लगा है. निर्माण पूरा होने के इतने वर्षों बाद भी अस्पताल का संचालन शुरू नहीं किया गया. स्वास्थ्य सुविधाएं बहाल नहीं की गयी. जब अस्पताल शुरू नहीं करना था, तो इस भवन का निर्माण ही क्यों किया गया.
इससे पूर्व सरकार की अोर से बताया गया कि दिसंबर 2016 तक अस्पताल चालू कर दिया जायेगा. प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता दीपक दुबे ने खंडपीठ को बताया कि वर्ष 2011 में सदर अस्पताल का भवन बन कर तैयार हो गया, लेकिन अस्पताल का संचालन शुरू नहीं किया गया. भवन की स्थिति भी खराब हो रही है. उल्लेखनीय है कि ज्योति शर्मा ने जनहित याचिका दायर की है.
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