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तीन तलाक पर बोला संघ : लैंगिक आधार पर नहीं होना चाहिए अन्याय

लखनऊ : मुसलमानों में एक साथ तीन बार तलाक बोलने को लेकर हो रही चर्चाओं के बीच राष्ट्रीय स्वयंंसेवक संघ ने आज कहा कि लैंगिक आधार पर अन्याय नहीं होना चाहिए. संघ के अवध प्रांत संघचालक प्रभुनारायण ने कहा कि मुसलिम बहनों ने यह मामला उठाया है. संघ का मत है कि लैंगिक आधार पर […]

लखनऊ : मुसलमानों में एक साथ तीन बार तलाक बोलने को लेकर हो रही चर्चाओं के बीच राष्ट्रीय स्वयंंसेवक संघ ने आज कहा कि लैंगिक आधार पर अन्याय नहीं होना चाहिए. संघ के अवध प्रांत संघचालक प्रभुनारायण ने कहा कि मुसलिम बहनों ने यह मामला उठाया है. संघ का मत है कि लैंगिक आधार पर अन्याय नहीं होना चाहिए. मुसलिम बहनों के साथ न्याय होना चाहिए. संवाददाताओं ने तीन तलाक के बारे में उनकी राय पूछी थी.

तीन तलाक पर बोला आरएसएस

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण मुद्दे पर पूछे गये सवाल पर प्रभुनारायण ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन संघ ने पहले भी नहीं चलाया और आगे भी नहीं चलायेगा. यह आंदोलन जनता और संत चलाते हैं. संत और जनता यदि आंदोलन चलायेंगे तो हम उनका साथ देंगे. प्रभुनारायण ने 23 से 25 अक्तूबर के बीच हैदराबाद के भाग्य नगर में हुई संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में पारित प्रस्तावों और चर्चा किये गये विषयों की जानकारी देने के लिए संवाददाता सम्मेलन बुलायी थी. जब सवाल किया गया कि क्या उत्तर प्रदेश के बारे में चर्चा हुई तो जवाब मिला कि हां, उत्तर प्रदेश में संगठन के कार्यों को लेकर चर्चा की गयी. फिर जब प्रदेश के राजनीतिक हालात के बारे में पूछा गया तो बोले कि नो कमेंट :टिप्पणी नहीं करूंगा.

माकपा लोकतंत्र विरोधी-आरएसएस

उन्होंने बताया कि हैदराबाद बैठक में पारित एक प्रस्ताव में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा केरल में संघ के स्वयंसेेवकों की हत्या और हिंसा का विरोध किया गया. उन्होंने कहा कि माकपा असहिष्णु और अधिनायकवादी मनोवृत्ति की है. अपनी विचारधारा के अलावा अन्य किसी विचारधारा को दोयम दर्जे का मानती है प्रभुनारायण ने माकपा पर प्रहार जारी रखते हुए कहा कि खुद को प्रगतिशील कहने वाली माकपा लोकतंत्र विरोधी आचरण करती है और उसकी मनोवृत्ति हिंसक है. वाम दलों से पलायन कर संघ में शामिल हो रहे गरीब और मछुआरों से माकपा को जलन हो रही है, इसी कारण उनकी हत्याएं कर रही है.

एकात्म मानव दर्शन से ही समाधान-आरएसएस

उन्होंने बताया कि विश्व के समक्ष उभरती वर्तमान चुनौतियों मसलन वैश्विक उष्मीकरण :ग्लोबल वार्मिंग: और वैश्विक आतंकवाद को लेकर दूसरा प्रस्ताव पारित किया गया. इसमें कहा गया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा शाश्वत भारतीय चिन्तन के आधार पर प्रतिपादित ‘एकात्म मानव दर्शन’ के अनुसरण से ही इन सबका समाधान संभव है. प्रभुनारायण ने बताया कि बैठक में सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, पारिवारिक मूल्यों एवं ग्राम विकास से संबंधित विषयों पर भी चर्चा हुई. दलितों की खराब स्थिति और दलितों को लेकर हो रही राजनीति के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि संघ का मानना है कि समाज में परस्पर सहभागिता हो, सद्भाव हो और द्वेष का भाव ना हो. सामाजिक समरसता और सहजता लेकर चलने की जरूरत है.

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