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सेंसर बोर्ड के नियम बदलने पर काम कर रही है सरकार: नायडू

नयी दिल्ली: सरकार छह दशक पुराने सिनेमेटोग्राफी कानून को बदलने की योजना बना रही है ताकि सेंसर बोर्ड के कामकाज को और बेहतर किया जा सके. सेंसर बोर्ड कई विवादों के केंद्र में रहा है. सूचना और प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू का कहना है कि वह न्यायमूर्ति मुदगल समिति और बेनेगल समिति की अनुशंसाओं […]

नयी दिल्ली: सरकार छह दशक पुराने सिनेमेटोग्राफी कानून को बदलने की योजना बना रही है ताकि सेंसर बोर्ड के कामकाज को और बेहतर किया जा सके. सेंसर बोर्ड कई विवादों के केंद्र में रहा है. सूचना और प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू का कहना है कि वह न्यायमूर्ति मुदगल समिति और बेनेगल समिति की अनुशंसाओं पर गौर कर रहे हैं लेकिन फिलहाल वह संसद में इस पहल के लिए कोई समय सीमा नहीं दे सकते.

उन्होंने कहा, ‘न्यायमूर्ति (मुकुल) मुदगल और (श्याम) बेनेगल समिति ने कुछ महत्वपूर्ण अनुशंसाएं की हैं. मैं उन पर गौर कर रहा हूं. अंतत: आपको उन्हें लागू करना होगा. मैं भी कानून में कुछ बदलाव कर सकता हूं. मैं इस दिशा में आगे बढ रहा हूं.’ नायडू का कहना है कि दोनों समितियों की अनुशंसाओं पर उन्होंने बोर्ड सदस्यों का विचार भी जाना है क्योंकि उनका मानना है कि समस्याओं से वे अच्छी तरह वाकिफ होंगे.

उन्होंने कहा, ‘शीत सत्र के कारण मैं आपको कोई समय सीमा नहीं दे सकता. मुझे नहीं लगता कि मैं इसे पूरा कर सकूंगा. इसके बाद के सत्र में नये कानून को लाने का मेरा प्रयास होगा.’ उन्होंने कहा, ‘हाल में मैंने सेंसर बोर्ड के सचिव को फोन किया था. मैंने उनसे कहा कि कुछ महत्वपूर्ण अनुशंसाएं की गई हैं. आप लोग आपस में चर्चा कर लें. और कुछ निष्कर्ष के साथ आगे आएं….’

उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे अनुशंसाओं का अध्ययन कर बताने को कहा. सरकार आवश्यक बदलाव करने पर विचार कर रही है. सिनेमेटोग्राफी कानून 1952 में बना और फिल्म प्रमाणन इसी कानून के तहत किया जाता है.’ करीब चार महीने पहले मंत्रालय का प्रभार संभालने वाले नायडू ने कहा कि सेंसर बोर्ड में होने वाले विवादों की उन्हें जानकारी है और उनका मानना है कि दोनों पक्षों –केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) और फिल्म उद्योग को धैर्य बनाए रखना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘सेंसर सर्टिफिकेट मुद्दे और सेंसर बोर्ड के बारे में विवादों की उन्हें जानकारी है. विवादों से बचना चाहिए. दोनों पक्षों के लोगों को बाहर नहीं बोलना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘फिल्म उद्योग रचनात्मक लोगों के बारे में है और फिल्म निर्माण में कुछ परिपाटी का अनुसरण करना होता है. सिनेमा की इस परिपाटी के बारे में प्रमाणन प्रक्रिया और बारीकियों का ख्याल रखना चाहिए. रचनात्मक उद्योग के हित में बोर्ड और निर्माताओं तथा निर्देशकों को मिल जुलकर काम करना चाहिए.’

नायडू ने कहा कि इस तरह का विचार है कि कुछ लोग प्रचार के लिए बोलते हैं और विवाद उत्पन्न करते हैं ताकि उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करे. उन्होंने कहा, ‘लेकिन जो लोग पद पर हैं उन्हें लगातार बयानबाजी नहीं करनी चाहिए. आप अपना काम करें. अगर कुछ गलत है तो लोग अपीली प्राधिकार के पास जाएंगे और अंतत: न्यायपालिका के पास जाएंगे.’ उन्होंने कहा, ‘हम वर्तमान फिल्म प्रमाणन प्रक्रिया में खामियों की जांच कर रहे हैं और निश्चित रुप से हम प्रयास करेंगे कि कोई विवाद नहीं हो.’

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