कोलकाता. सिंगूर में किसानों को अपनी जमीन मिलने के बाद वे काफी खुश नजर आये. 14 सितंबर को इन किसानों को जमीन के कागजात देने के बाद गुरुवार को सीमांकन के आधार पर चिह्नित की गयी जमीन का प्रत्यक्ष कब्जा दिया गया. यहां गोपालनगर मध्यपाड़ा से आये किसान तारक घोष, सुशांत घोष, नवकुमार घोष, प्रशांत दास, परेश घोष, दीवाकर घोष, रतन कर्मकार, जुगल किशोर, शंभूनाथ घोष, कृष्णकली सरकार, नरेश चंद्र, परेश घोष व हराधन अधिकारी ने कहा कि आज अपनी जमीन पर खड़े होकर बहुत खुशी हो रही है. खेती हमारा पुश्तैनी काम है, अब फिर से इस जमीन पर खेती करेंगे.
सबकी जमीन यहां फैली हुई है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किसानों को खाद के साथ सरसों के बीज देकर उनका अभिनंदन किया. अभी मौसम के अनुसार अालू से भी जल्दी सरसों उगायी जा सकती है. किसानों ने कहा कि सिंगूर आंदोलन के लिए 26 दिन यहां अनशन हुआ था.
14 दिन तक धरना दिया गया. आखिर किसानों के हक में इस आंदोलन की जीत हुई. कुछ किसानों ने बताया कि इस जमीन पर आलू, धान, सब्जी, सरसों की खेती की जा सकती है. आलू के बाद जूट व तिल की खेती भी की जा सकती है. हरेक किसान की जमीन, कागजात के आधार पर निशान व दीवार लगाकर अलग कर दी गयी है. कई किसानों की जमीन एक जगह पर नहीं है, बल्कि फैली हुई है. दूसरे चरण में उन्हें बाकी की जमीन भी दी जायेगी. यहां आयीं अन्नूबाला घोष व मालती घोष का कहना है कि आंदोलन के बाद ही सही, उन्हें अपनी जमीन तो मिली. यही बड़ी बात है. किसानों के हक की रक्षा के लिए उनकी नेता ने काफी परिश्रम व संघर्ष किया. सभा में हुगली, र्बदवान, उत्तर व दक्षिण 24 परगना से आये लोक कलाकारों व आदिवासियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किये.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिंगूर आंदोलन के दौरान शहीद हुए राज कुमार भूल और तापसी मल्लिक के नाम पर सिंगुर में एक शहीद स्मारक बनाने की घोषणा की. उन्होंने जिलाधिकारी को इसके लिए जमीन तलाशने को वह निर्देश दे दी है. उस स्मारक पर उनकी तस्वीर मौजूद होगी. उन्होंने इस मौके पर यह भी कहा कि किसी भी आंदोलन में पीछे नहीं मुड़ना चाहिए. ज्ञात हो कि 2006 में राज्य के वाम मोरचा की सरकार में तात्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने टाटा के नैनो कारखाना के लिए 997.11 एकड़ जमीन किसानों से जबरन अधिग्रहण किया था. इनमें से 750 एकड़ जमीन 2700 किसानों के पास से अधिग्रहण किया गया था. बाकी जमीन खास जमीन थी. ठीक एक दशक के बाद इस जमीन को लौटाने का काम शुरू हुआ है. जमीन वापस पाने वाले किसान अपने जमीन पर कृषि कार्य कर पायेंगे. इसके लिए पहले से ही तमाम व्यवस्था कर रखा गया है. जमीन वापसी के साथ ही साथ उन्हें 10 हजार रुपये, बीज और खाद भी दिये गये. बाद में अन्य सहायता भी दी जायेगी. आज जमीन वापसी के लिए सिंगुर में चार मंच बनाये गए थे. यह चार मंच गोपालनगर , खासेरभेडी , बेड़ाबेडी व मध्यपाड़ा में बनाये गए थे.