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खतरे में एटीएम कार्ड

विभिन्न बैंकों के 32 लाख से अधिक डेबिट कार्ड या उनके सुरक्षा कोड यानी पिन नंबर बदलने पड़ सकते हैं. इनमें 26 लाख कार्ड वीजा और मास्टर कार्ड और छह लाख कार्ड रुपे प्लेटफॉर्म के हैं. वित्तीय आंकड़ों में सेंधमारी की इस घटना से प्रभावित कार्डों की संख्या बढ़ने की आशंका भी है. एसबीआइ, एचडीएफसी, […]

विभिन्न बैंकों के 32 लाख से अधिक डेबिट कार्ड या उनके सुरक्षा कोड यानी पिन नंबर बदलने पड़ सकते हैं. इनमें 26 लाख कार्ड वीजा और मास्टर कार्ड और छह लाख कार्ड रुपे प्लेटफॉर्म के हैं. वित्तीय आंकड़ों में सेंधमारी की इस घटना से प्रभावित कार्डों की संख्या बढ़ने की आशंका भी है. एसबीआइ, एचडीएफसी, आइसीआइसीआइ, यस बैंक और एक्सिस बैंक के कार्ड सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं.

रिपोर्टों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि एटीएम मशीनों के संचालन में प्रयुक्त हिटाची पेमेंट सर्विसेज के सिस्टम में तकनीकी गड़बड़ी कर ग्राहकों की सूचनाएं चुरायी गयी हैं. बीते कई दिनों से अनेक एटीएम कार्डों के चीन की मशीनों में इस्तेमाल होने तथा कुछ ग्राहकों की शिकायत के बाद इस व्यापक धोखाधड़ी का पता चला है.

यह बहुत चिंता की बात है कि तमाम तकनीकी क्षमता के बावजूद बैंकों को इस बात की जानकारी करने में छह हफ्ते का समय लग गया. रिटेल भुगतान तंत्र के सामूहिक संगठन नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने कहा है कि इस गड़बड़ी के लिए बैंक जिम्मेवार नहीं हैं और बैंकों द्वारा इससे निबटने के लिए समुचित उपाय किये जा रहे हैं. इस धोखाधड़ी से हुए नुकसान का आकलन अभी सामने नहीं आया है. रिपोर्टों में बैंक सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि बैंक ग्राहकों के हुए नुकसान की भरपाई नहीं करेंगे, पर रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार डेबिट कार्ड से जुड़ी सूचनाओं की सुरक्षा की जिम्मेवारी संबंधित बैंक की है तथा ग्राहक की शिकायत पर नुकसान का भुगतान भी उसे ही करना होगा. उम्मीद है कि सभी प्रभावित बैंक जल्दी ही इस संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे. ग्राहकों को भी अपने बैंक के निर्देशों के अनुसार सुरक्षा के उपाय जल्दी करने चाहिए. डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल बढ़ने के साथ सूचनाओं की चोरी, हैकिंग, हेराफेरी आदि बड़े खतरे के रूप में सामने आये हैं. वेबसाइटों पर हमले, डेबिट और क्रेडिट कार्डों से अवैध लेन-देन तथा मोबाइल फोन में सेंधमारी की अनेक घटनाएं सामने आती रहती हैं. लेकिन, इतने बड़े स्तर पर वित्तीय धोखाधड़ी की वारदात यह संकेत देती है कि बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा चाक-चौबंद नहीं है. बैंक विभिन्न सेवाओं के लिए ग्राहकों से कई तरह के शुल्क वसूलते हैं. उच्च स्तर पर गिने-चुने सेवा-प्रदाता होने के कारण बैंकों की केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली है. ऐसे में सुरक्षा की ऐसी चूक बेहद गंभीर है. कार्डों के इस्तेमाल पर रोक और नये कार्ड जारी करने की प्रक्रिया में समय लगने से वित्तीय स्तर पर भी नकारात्मक असर होगा. मसला इस धोखाधड़ी से कम या ज्यादा नुकसान का नहीं है, बल्कि इसे पकड़ने व नुकसान का आकलन करने में हुई देरी चिंता की बात है.

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