शेखपुरा : संस्थागत प्रसव के लिए स्वास्थ्य केंद्र पर आने वाली गर्भवती महिलाओं का एचआइवी जांच को अनिवार्य कर दिया है. जिला प्रशासन द्वारा इस संबंध में सिविल सर्जन को आवश्यक निर्देश जारी कर दिया है. जिला प्रशासन द्वारा संस्थागत प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं के प्रोत्साहन राशि के लंबित भुगतान को भी शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया है. जिलाधिकारी के आवश्यक कार्य में लगे रहने पर डीडीसी निरंजन कुमार झा ने बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के कार्यों की समीक्षा की तथा आवश्यक निर्देश जारी किया.
इस बैठक में िविल सर्जन डॉ. एम.पी. सिंह सहित सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, चिकित्सक तथा अस्पताल प्रबंधक और लेखापाल मौजूद थे. बैठक में मुख्यत: संस्थागत प्रसव तथा जिले में चलाये जा रहे टीकाकरण कार्य की समीक्षा की गयी. बैठक की जानकारी देते हुए जिला सूचना व जनसंपर्क पदाधिकारी योगेंद्र कुमार लाल ने बताया कि जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत प्रसव के लिए आने वाली 353 महिलाओं के प्रोत्साहन राशि अभी तक निकला है.
समीक्षा के दौरान जिले में संपूर्ण टीकाकरण की दयनीय स्थिति पर गहरी नाराजगी प्रकट की गयी. इस कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग को उपलब्धि मात्र 41.78 प्रतिशत है तथा बरबीघा का यह आंकड़ा 18 प्रतिशत है. डीडीसी ने इस स्थिति को सुधारने की चेतावनी दी है. हालांकि 09 माह से एक वर्ष तक के बच्चों को दिये जाने वाले टीकाकरण की स्थिति संतोषजनक पायी गयी. इस श्रेणी में उपलब्धि 78 प्रतिशत पायी गयी. समीक्षा में यह स्थिति भी पायी गयी कि चालू वर्ष में 169 बच्चे कम वजन के जन्म लेने को स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता से लिया है तथा बताया गया कि सरकारी खर्चें पर अभी ऐसे 63 बच्चों को स्वस्थ किया जा चुका है. जिलाधिकारी ने सिविल सर्जन को सरकार द्वारा किये जाने वाली हर स्वास्थ्य सेवाओं को तत्परता से आम लोगों तक पहुंचाने का निर्देश दिया है.