वहीं आयोजन में सहयोग के लिए कवि रमण के पुत्री, दामाद व उनके पुत्र की प्रशंसा की. संचालन डॉ शारदा चरण व अभिनंदन अमरनाथ मेहरोत्रा ने किया. मौके पर डॉ मिथिलेश कुमारी मिश्र, डॉ अंजना वर्मा, कृष्ण मोहन प्रसाद, गणेश प्रसाद सारंग, ब्रजनंदन वर्मा, हरिनारायण गुप्ता, काशीनाथ वर्मा, सत्यनारायण श्रीवास्तव, शंभु प्रसाद गुप्ता, उदयनारायण सिंह, देवेंद्र कुमार, राजमंगल पाठक, अमिताभ सिन्हा, अंजनी कुमार, डॉ शैलेंद्र कुमार, प्रभात रंजन, रामेश्वर प्रसाद ने अपने विचार रखे.
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रमण यर्थार्थवादी कवि के साथ गहन चिंतक थे
मुजफ्फरपुर: महाकवि रमण शिखर निर्भीक व यर्थार्थवादी कवि ही नहीं, गहन चिंतक व विचारक थे. उनके आध्यात्मिक विचार उनके साहित्य से प्रतीत होते हैं. उक्त बातें बिहार राष्ट्रभाषा परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ शिवदास पांडेय ने कही. वह थियोसफिकल लॉज में महाकवि रमण के शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित महाकवि रमण शिखर सम्मान समारोह […]
मुजफ्फरपुर: महाकवि रमण शिखर निर्भीक व यर्थार्थवादी कवि ही नहीं, गहन चिंतक व विचारक थे. उनके आध्यात्मिक विचार उनके साहित्य से प्रतीत होते हैं. उक्त बातें बिहार राष्ट्रभाषा परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ शिवदास पांडेय ने कही. वह थियोसफिकल लॉज में महाकवि रमण के शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित महाकवि रमण शिखर सम्मान समारोह के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे. वक्ताओं ने कहा कि रमण वह मानवीय संवेदना विशिष्ट के कवि थे.
ऊपर से दिखनेवाले कवि रमण अंदर अत्यंत कोमल, सजल और करूणा से ओतप्रोत थे. इस मौके पर डॉ रमण शिखर सम्मान से डॉ रमण शांडिल्य, डॉ राम विलास व डॉ विनोद कुमार सिन्हा को सम्मानित किया गया. वहीं रमण और उनका साहित्य नाम ग्रंथ का लोकार्पण किया गया. चितरंजन सिन्हा कनक के नेतृत्व में कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
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