पटना / दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में आज पत्रकार राजदेव रंजन मामले की सुनवाई के दौरान बिहार सरकार ने स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव का बचाव किया. सुनवाई के दौरान पीठ ने सीवान में सत्र न्यायाधीश से भी यह रिपोर्ट मांगी कि जिस दिन ये दो भगौड़े आरोपी – मोहम्मद कैफ और मोहम्मद जावेद बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव और राजद के विवादित नेता शहाबुद्दीन के साथ नजर आए थे, तब क्या उन्हें घोषित अपराधी करार दिया गया था? इसी बीच, बिहार सरकार ने पीठ को बताया कि इन आरोपियों ने जब सीवान में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री के साथ मुलाकात की थी, तब उन्हें घोषित अपराधी करार नहीं दिया गया था. मामले में तेज प्रताप यादव की ओर से सुप्रीम कोर्ट में यह कहा गया कि उन्होंने मो. कैफ से गुलदस्ता लिया था लेकिन वह हत्या में शामिल नहीं है.
रंजन की पत्नी आशा रंजन ने 23 सितंबर को शीर्ष अदालत में दावा किया था कि सीबीआई ने ‘राजनीतिक प्रभाव’ और ‘शहाबुद्दीन के डर’ के कारण इस मामले में जांच शुरू तक नहीं की है. बाद में शीर्ष अदालत ने सीबीआई को पत्रकार हत्या के मामले की जांच आगे बढाने के लिए कहा और साथ ही बिहार पुलिस से पत्रकार के परिवार को सुरक्षा देने के लिए कहा. पत्रकार के परिवार ने शहाबुद्दीन से जान का खतरा होने का दावा किया है. अदालत ने रंजन की पत्नी की याचिका के आधार पर शहाबुद्दीन, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री एवं राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के बेटे तेज प्रताप यादव और बिहार सरकार से भी जवाब मांगा है. रंजन की पत्नी ने मामले को बिहार के सीवान से दिल्ली स्थानांतरित करने की भी मांग की है. अखबारों में छपी एक तस्वीर में राजद प्रमुख के बेटे को कथित गैंगस्टर से नेता बने शहाबुद्दीन के दो शार्प शूटरों में से एक के साथ देखा गया था.