एपीजे बांग्ला साहित्य उत्सव का दूसरा वर्ष
हेरिटेज टूर के माध्यम से जागरूकता का प्रयास
कोलकाता. विश्व के सांस्कृतिक-साहित्यिक जगत में कोलकाता की अलग पहचान है. सती प्रथा जैसी सामाजिक कुरीति समाप्त कराने वाले राजा राममोहन रॉय से लेकर अंग्रेजों को बांग्ला कविता की मधुरता से प्रभावित करने वाले माइकल मधुसूदन दत्त इस महानगर से ताल्लुक रखते थे. इस सूची में न जाने कितने नाम हैं जो किसी पहचान के मोहताज नहीं. परंतु नयी पीढ़ी इसके प्रति जागरूक नहीं है.
इसी इतिहास को नयी पीढ़ी के सामने लाने के लिए आक्सफोर्ड बुक स्टोर व पात्र भारती प्रकाशन समूह ने मिलकर एपीजे बांग्ला साहित्य उत्सव के माध्यम से एक प्रयास किया है. इसके तहत एक हेरिटेज टूर का आयोजन किया गया. यह पुनर्जागरण के अग्रदूत राजा राममोहन रॉय के निवास (वर्तमान में कोलकाता पुलिस म्यूजियम) से प्रारंभ हुआ. उसके बाद बांग्ला साहित्य के शिक्षाविद, समाज सुधारक, साहित्यकार ईश्वरचंद्र विद्यासागर के निवास स्थान होते हुए किवदंती फिल्मकार सत्यजीत रॉय व उपेंद्र किशोर, सुकुमार रॉय के जन्म स्थान होते हुए (वर्तमान में एथ्हेनम इंस्टीच्यूट) से होकर बंगीय साहित्य परिषद (पूर्व नाम बंगाल एकेडमी ऑफ लिटरेचर) जाकर समाप्त हुआ. इस बंगीय साहित्य परिषद से रवींद्र नाथ टैगोर व नवीनचंद्र सेन भी जुड़े थे. इस अवसर पर आक्सफोर्ड बुकस्टोर के सीइओ स्वागत सेनगुप्त ने बताया कि इस साहित्य उत्सव के आयोजन का उद्देश्य नयी पीढ़ी को बंगाल की समृद्ध विरासत से परिचित कराना है.
इस साहित्य उत्सव में विभिन्न कार्यक्रमों को शामिल किया गया है. जिसमें साहित्य प्रश्नोत्तरी शब्दबाजी, जासूसी कहानियाें का बांग्ला साहित्य पर प्रभाव, सिनेमा व साहित्य में इनकी भूमिका से लेकर सोशल मीडिया से साहित्य की क्षति जैसे विषयों पर चर्चा आदि शामिल है. इस अवसर पर लेखक रंजन बद्योपाध्याय, ट्रेवल ब्लागर रंजन दत्ता व पात्र भारती समूह के त्रिदीव कुमार चट्टोपाध्याय शामिल थे.