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”ब्रिक्स ” संगठन के सामने क्या हैं चुनौतियां

भारत 8वें ब्रिक्स सम्मेलन का मेजबानी कर रहा है. गोवा में आयोजित 15-16 अक्टूबर तक होने वाले इस सम्मेलन में पांच सदस्य देश रूस, चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका व भारत हिस्सा ले रहे हैं. भारत में आयोजित 8 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का थीम ब्रिक्स देशों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है. कितना […]

भारत 8वें ब्रिक्स सम्मेलन का मेजबानी कर रहा है. गोवा में आयोजित 15-16 अक्टूबर तक होने वाले इस सम्मेलन में पांच सदस्य देश रूस, चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका व भारत हिस्सा ले रहे हैं. भारत में आयोजित 8 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का थीम ब्रिक्स देशों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है.

कितना मजबूत है ब्रिक्स संगठन
ब्रिक्स पांच विकासशील देशों का समूह है. दुनिया के 30 प्रतिशत जीडीपी में ब्रिक्स के सदस्य देशों की हिस्सेदारी है. वहीं विश्व की 43 प्रतिशत आबादी ब्रिक्स देशों में रहती है. विश्व व्यापार का 17 प्रतिशत कारोबार में ब्रिक्स के सदस्य देशों का आधिपत्य है. आंकड़ों के लिहाज से देखा जाये तो दुनिया के किसी भी बड़े संगठन के मुकाबले ब्रिक्स को कमतर आंका नहीं जा सकता है.
विशेषज्ञों के मुताबिक आने वाले 50 सालों तक ब्रिक्स के सदस्य देश दुनिया को प्रभावित करने की क्षमता रखेंगे. ब्रिक्स का पहला समिट16 जून 2009 को रूस में आयोजित हुआ. तब से लेकर आज तक ब्रिक्स के सात समिट हो चुके हैं. ब्रिक्स के सदस्य देशों में दुनिया के दो सबसे ताकतवर माने जाने वाली देश रूस और चीनंभी शामिल है.
ब्रिक्स की चुनौतियां
ब्रिक्स के सदस्य देशों के सामने इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती वैश्विक मंदी है. ब्राजील में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है. वहीं चीन में भी आर्थिक मंदी का खतरा मंडरा मंडराने लगा है. तेल की घटती कीमतों का असर रूसी अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है. सदस्य देशों में भारत और चीन के संबंध उतने अच्छे नहीं है. ऐसे हालत में चीन और भारत के बीच की तल्खी का असर ब्रिक्स संगठन पर भी पड़ सकता है.

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