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ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आयेंगे 1000 करोड़

रांची: झारखंड सरकार की ओर से हाल में लिये गये तीन फैसलों से राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में लगभग 1000 करोड़ रुपये आयेंगे. इससे गांव के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. वहीं रोजगार के भी अवसर मिलेंगे. इसको लेकर सरकार ने पहल शुरू कर दी है. सरकार के निर्णय के तहत मिड डे […]

रांची: झारखंड सरकार की ओर से हाल में लिये गये तीन फैसलों से राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में लगभग 1000 करोड़ रुपये आयेंगे. इससे गांव के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. वहीं रोजगार के भी अवसर मिलेंगे. इसको लेकर सरकार ने पहल शुरू कर दी है.
सरकार के निर्णय के तहत मिड डे मील के लिए बच्चों को दिये जानेवाले अंडे अब गांव की अनुसूचित जनजाति की महिलाएं से ही खरीदा जायेगा. इसके लिए सरकार पहले चरण में 2200 गांव की महिला स्वयं सहायता समूह को मुर्गी पालन से जोड़ रही है. इन्हें सरकार की ओर से आर्थिक मदद की जायेगी.

इसके साथ ही स्कूलों के बेंच-डेस्क बनाने का काम गांव के कारपेंटर को दिया जा रहा है. कंबल, अस्पतालों के लिए तौलिये, चादर, परदे तथा स्कूल ड्रेस बनाने का काम ग्रामीण महिलाओं से कराया जायेगा. सरकार इन्हें खरीदेगी.
बेंच-डेस्क की खरीद से आयेंगे 400 करोड़ : सरकारी स्कूलों में बेच-डेस्क की खरीद स्थानीय स्तर से होने पर यहां के स्थानीय कारपेंटरों को लगभग 400 करोड़ रुपये की आय होगी. सरकार ने इसके लिए प्रथम चरण में जिलों को 141.60 करोड़ रुपये का आवंटन भी कर दिया गया है. सरकार ने बेंच-डेस्क की प्रति इकाई को लेकर 4000 रुपये की राशि निर्धारित की है. इसमें सभी तरह के कर, आकस्मिक व्यय, परिवहन आदि शामिल रहेगा. पहले बेंच-डेस्क की खरीद गोदरेज कंपनी से किये जाने का फैसला लिया गया था. सरकार की ओर से बेंच-डेस्क के निर्धारित मापदंड के लिए कंपनी की ओर से प्रति इकाई के लिए आठ हजार रुपये की दर निर्धारित की गयी थी. इसके बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जमशेदपुर के कारपेंटरों को बुला कर इसकी दर का पता कराया. इनकी दर को देखते हुए सरकार ने बेंच-डेस्क की खरीद स्थानीय स्तर पर कराने का फैसला लिया.
250 करोड़ रुपये के अंडों की खरीद भी स्थानीय स्तर पर होगी : ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं व महिला स्वयं सहायता समूह को मुर्गी पालन से जोड़ने की योजना है, ताकि मिड-डे मील योजना में स्थानीय अंडो की खरीद की जा सके. इस योजना के तहत प्रत्येक माह लगभग 3.60 करोड़ अंडो की आपूर्ति होती है. उपलब्धता नहीं होने से दूसरे राज्यों से अंडों का आयात होता है. अगर यह योजना शुरू हो गयी, तो स्थानीय लोगों को लगभग 250 करोड़ रुपये की आय होगी.
स्कूल ड्रेस, कंबल, तौलिया, चादर की खरीद से होगी 350 करोड़ की आय : सरकार ने कंबल, अस्पतालों के लिए तौलिये, चादर, परदे तथा स्कूल ड्रेस बनाने का काम ग्रामीण महिलाओं से कराने का फैसला लिया है. इसके लिए झारक्राफ्ट की मदद ली जायेगी. सरकारी स्कूल के बच्चों (कक्षा एक से आठ तक) के स्कूल ड्रेस की खरीद पर सरकार प्रतिवर्ष लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च करती है. इसको लेकर पहले टेंडर होता था. अब नयी व्यवस्था के तहत ग्रामीण महिलाओं से इसकी खरीद की जायेगी. वहीं अस्पतालों के लिए कंबल, तौलिया और चादर की खरीद भी झारक्राफ्ट के माध्यम से करने का निर्णय लिया गया है. इससे भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में लगभग 250 करोड़ रुपये आयेंगे.

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