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अब दीपावली व छठ में घर वापसी पर ग्रहण

रिजर्वेशन. दो नवंबर तक ट्रेनों में सीट फुल सीमांचल के लोगों के लिए दीपावली व छठ के मौके पर स्पेशल ट्रेन की घोषणा नहीं की गयी है. लिहाजा परदेश कमाने गये लोगों को त्योहार पर घर आने में टिकट का वेटिंग मुसीबत बन गया है. पूर्णिया : रेल सुविधाओं को लेकर सीमांचल का इलाका हमेशा […]

रिजर्वेशन. दो नवंबर तक ट्रेनों में सीट फुल

सीमांचल के लोगों के लिए दीपावली व छठ के मौके पर स्पेशल ट्रेन की घोषणा नहीं की गयी है. लिहाजा परदेश कमाने गये लोगों को त्योहार पर घर आने में टिकट का वेटिंग मुसीबत बन गया है.
पूर्णिया : रेल सुविधाओं को लेकर सीमांचल का इलाका हमेशा से उपेक्षित रहा है. इस बार भी दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, बैंगलुरू आदि बड़े शहरों से दीपावली और छठ के मौके पर घर वापस लौटने वाले सीमांचल के लोगों के लिए स्पेशल ट्रेन की घोषणा नहीं की गयी है. परदेस कमाने गये लोगों को त्योहार पर घर आने में टिकट का वेटिंग मुसीबत बन गया है. हालात यह है कि आरक्षित टिकट की तो छोड़िये, वेटिंग के लिए भी पसीने छूट रहे हैं. स्थिति यह है कि अगले दो नवंबर तक दिल्ली, पंजाब, हरियाणा आदि शहरों से कटिहार तक आने वाली किसी भी ट्रेन में वर्थ खाली नहीं है. पूर्णिया जंकशन पर पदस्थापित अधिकारी संजय सिंह के मुताबिक वेटिंग की इतनी लंबी कतार है कि दो नवंबर तक आरक्षण का टोटा बना हुआ रहेगा.
उम्मीदों पर फिरेगा पानी, त्योहार में बाजार भी रहेगा सुस्त
महीनों के इंतजार के बाद त्योहार के बहाने अपनों से मिलने का उत्साह और परदेस से घर लौटने की खुशी उदासी में तब्दील हो सकती है. टिकट का लंबा वेटिंग और रेलवे की उपेक्षा त्योहारों का रंग फीका करने पर उतारू है. दरअसल परदेस से लौटने वालों से सीमांचल के बाजारों में रौनक भी बढ़ती है. साथ ही खरीदारी से लेकर खेती तक की कवायद को बल मिलता है. लेकिन जिस कदर हालात दिख रहे हैं, बाजारों के रौनक भी फीके पड़ने के आसार बने हुए हैं. कुल मिला कर पर्व के मौके पर रेल की उदासीनता लोगों के लिए परेशानी का सबब साबित होगा.
इन ट्रेनों में दो माह पहले से बुक है टिकट
सीमांचल एक्सप्रेस, महानंदा, नॉर्थ इस्ट, अवध असाम, अमृतसर-कटिहार एक्सप्रेस, राजधानी, गरीब नवाज, पूर्वोत्तर संपर्क क्रांति, नई दिल्ली एवं आनंद बिहार एक्सप्रेस जैसे ट्रेनों से ही सीमांचल के लोगों की पर्व के मौके पर घर वापसी होती है. लेकिन समस्या यह है कि इन सभी ट्रेनों में दो नवंबर तक आरक्षण मिलने की कोई उम्मीद नहीं है. ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों को निराशा का सामना करना पड़ेगा. विडंबना तो यह है कि सीमांचल के जो लोग परदेस में रहते हैं, दुर्गापूजा के मौके पर घर वापस आये या न आये, लेकिन दीपावली और छठ में उनकी वापसी निश्चित मानी जाती है. सहरसा-पूर्णिया अमान परिवर्तन के बावजूद कोई त्योहार स्पेशल ट्रेन नहीं दिया जाना भी आश्चर्यजनक है. वहीं दीपावली से लेकर छठ सभी पर्व एक नवंबर तक ही समाप्त हो रहे हैं. ऐसे में हजारों ऐसे लोग हैं, जिन्हें त्योहार में घर लौटना है, पशोपेश में हैं.

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