पटना : बिहार सहित पूरे भारत में इन दिनों अर्थराइटिस के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. 30 साल के युवा भी इसके शिकार हो रहे हैं. यह कहना है बिहार फीजियोथेरेपी एसोसिएशन के डॉ राजीव कुमार सिंह का. डॉ राजीव ने कहा कि हालिया शोध में पाया गया है कि अर्थराइटिस केवल बुजुर्ग या उम्रदराज लोगों को ही नहीं होता, बल्कि आज की युवा पीढ़ी भी इससे प्रभावित होती है. विश्व अर्थराइटिस दिवस पर शहर के कई अस्पताल व क्लिनिकों में जागरूकता अभियान चलाया गया.
आइजीआइएमएस के फीजियोथेरेपी विभाग के डॉ रत्नेश चौधरी ने कहा कि इंडियन फीजियोथेरेपी क्लब स्वराज संघ के कार्यकर्ताओं ने अर्थराइटिस रोकथाम व उपचार के लिए जागरूकता अभियान चलाया. वहीं, ग्लोबल आर्थोपेडिक्स फोरम की ओर से अर्थराइटिस जागरूकता अभियान चलाया गया. डॉ अमूल्या सिंह के नेतृत्व में आयोजित इस अभियान में वजन नियंत्रण, व्यायाम, योग व हड्डी की मजबूत करने के उपाय बताये गये. इसी कड़ी में महावीर वात्सल्य अस्पताल में विश्व अर्थराइटिस दिवस मनाया गया.
अस्पताल के निदेशक व हड्डी रोग के विभागाध्यक्ष डॉ एसएस झा ने कहा कि
अर्थराइटिस के कई रूप होते हैं. जब शरीर में यूरिक एसिड बढ़ जाता है, तो वह शरीर के जोड़ो में छोटे-छोटे क्रिस्टल के रूप में जमा होने लगता है और दर्द का कारण बन जाता है. रूमेटाइड अर्थराइटिस, गाउट, सिरॉइसिस अर्थराइटिस, ऑस्टियो अर्थराइटिस प्रमुख हैं. उन्होंने कहा कि आम भाषा में इसे गठिया का रोग कहते हैं. इस मौके पर अस्पताल के कई वरिष्ठ डॉक्टर व अन्य कर्मचारी मौजूद थे.