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झारखंड के अधिकारी नहीं बन पायेंगे निदेशक गव्य!

रांची: झारखंड के अधिकारी निदेशक गव्य नहीं बन पायेंगे. इस पद के लिए जो योग्यता रखी गयी है, उस योग्यता के एक भी अधिकारी यहां नहीं हैं. इस पद के लिए झारखंड लोक सेवा आयोग 18 अक्तूबर को इंटरव्यू का आयोजन कर रहा है. इसके लिए जून 2016 में विज्ञापन निकाला गया था. जेपीएससी ने […]

रांची: झारखंड के अधिकारी निदेशक गव्य नहीं बन पायेंगे. इस पद के लिए जो योग्यता रखी गयी है, उस योग्यता के एक भी अधिकारी यहां नहीं हैं. इस पद के लिए झारखंड लोक सेवा आयोग 18 अक्तूबर को इंटरव्यू का आयोजन कर रहा है. इसके लिए जून 2016 में विज्ञापन निकाला गया था. जेपीएससी ने इस पद के लिए जो शैक्षणिक योग्यता रखी है, उसमें डेयरी साइंस, डेयरी टेक्नोलॉजी और डेयरी एनिमल साइंस में मास्टर की डिग्री चाहिए. इसके लिए उम्र सीमा 45 से 57 साल रखी गयी है.
इसके साथ ही 7600 ग्रेड पे में तीन साल काम करने का अनुभव होना चाहिए. झारखंड सरकार के गव्य विकास विभाग में एक भी अधिकारी 7600 ग्रेड पे के साथ मास्टर डिग्री वाले नहीं हैं. एक अधिकारी 7600 ग्रेड पे में हैं, लेकिन उनके पास मास्टर की डिग्री नहीं है. पशुपालन विभाग के साथ-साथ रांची वेटनरी कॉलेज में भी एक भी शिक्षक डेयरी साइंस में मास्टर डिग्रीधारी नहीं है. नये चयनित कुछ अधिकारी के पास मास्टर की डिग्री है, लेकिन उनका ग्रेड पे 7600 नहीं है.
पिछले चयन में भी हुआ था विवाद : करीब चार साल पहले इस पद के लिए रांची पशु चिकित्सा महाविद्यालय के डॉ आलोक कुमार पांडेय का चयन निदेशक गव्य के पद पर हुआ था. इसको लेकर विवाद भी हुआ था. उस वक्त निदेशक पद के आवेदनों की स्क्रूटनी के लिए जेपीएससी ने गव्य विभाग से संयुक्त निदेशक उमेश प्रसाद सिंह को बुलाया था. स्क्रूटनी में कई आवेदनों को अस्वीकृत कर दिया गया था. इस बार भी रांची पशुचिकित्सा संकाय और पशुपालन विभाग के कई अधिकारियों ने आवेदन किया है. जेपीएससी ने इस बार आवेदनों की स्क्रूटनी भी नहीं करायी है. अनुभव कम रखने वाले अधिकारी श्रीनिवास मेहता के आवेदन को रद्द कर दिया है. समय से आवेदन नहीं मिलने के कारण दिनेश कुमार और मधुसूदन राव के आवेदन को अस्वीकृत कर दिया है.
अदालत में भी है मामला : गव्य निदेशक की नियुक्ति में तय योग्यता का मामला न्यायालय में भी है. पटना के डॉ कृष्ण मुरारी ने जेपीएससी द्वारा निकाले गये विज्ञापन में तय योग्यता को चुनौती दी है. कहा है कि मास्टर डिग्री में केवल तीन संवर्ग का जिक्र किया गया है. इसमें मास्टर इन डेयरी इंजीनियरिंग को शामिल नहीं किया गया है. इस मामले में गव्य निदेशालय ने अपना पक्ष भी अदालत के समक्ष रख दिया है. डॉ मुरारी ने इसमें जेपीएससी, मुख्य सचिव और गव्य विभाग को पार्टी बनाया है.
रिक्त है पद : निदेशक गव्य का पद जून माह से रिक्त है. डॉ आलोक पांडेय का कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद से यह पद प्रभार में चल रहा है. फिलहाल यह विभाग निदेशक विहीन है. उद्यान निदेशक मनोज कुमार के पास निदेशक गव्य का प्रभार था. मनोज कुमार का तबादला धनबाद कर दिया गया है. उनके स्थान पर मत्स्य निदेशक राजीव कुमार को उद्यान का प्रभार दिया गया है. उनको निदेशक गव्य का प्रभार दिये जाने संबंधी कोई आदेश नहीं हुआ है. इधर, विभाग ने सरकार को लिखित रूप से निदेशक गव्य का पद रिक्त होने की सूचना दी है.

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