मुंबई : रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पिछले महीने नियंत्रण रेखा के पार सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक की कार्रवाई का ‘बड़ा श्रेय’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देते हुए आज इन दावों को खारिज कर दिया कि संप्रग सरकार के शासनकाल में भी इसी तरह की कार्रवाई हुई थी. दो अलग-अलग कार्यक्रमों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘कार्रवाई पर संदेह’ कर रहे लोगों समेत भारत के 127 करोड़ लोग और सेना अभियान के श्रेय की हकदार है क्योंकि यह सशस्त्र बलों ने किया, न कि किसी राजनैतिक दल ने.
साथ ही उन्होंने कहा कि फैसला करने और योजना बनाने के लिए इसका बड़ा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार को जाता है. उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि इस तरह के हमले पहले भी होने के संबंध में किए गए दावे गलत हैं क्योंकि इस तरह की कार्रवाई स्थानीय स्तर पर सीमा कार्रवाई दल ने सरकार की जानकारी के बिना की. उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘मुझे लक्षित हमलों समेत श्रेय को हर देशवासी के साथ साझा करने में कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि इसे हमारे सशस्त्र बलों ने किया और किसी राजनैतिक दल ने नहीं किया.
इसलिए कार्रवाई पर संदेह करने वालों समेत सभी भारतीय श्रेय साझा कर सकते हैं.’ उन्होंने कहा कि इससे कई लोगों के कलेजे को ठंडक मिलेगी. मंत्री ने कहा कि वह उन लोगों की भावनाओं को समझते हैं, जो हमलों के बाद संतुष्ट हैं.कई राजनैतिक दलों ने लक्षित हमलों पर सवाल उठाए हैं और कुछ ने सबूत मांगे हैं. कांग्रेस ने हमलों पर आधिकारिक तौर पर सरकार का समर्थन करते हुए यह भी कहा है कि इसी तरह के अभियान उसके कार्यकाल के दौरान भी चलाए गए थे.
पर्रिकर ने कहा, ‘‘मैं पिछले दो वर्षों से रक्षा मंत्री हूं. जो कुछ भी जानकारी है, उससे यह पता चलता है कि पूर्व के वर्षों में कोई लक्षित हमला नहीं हुआ. जिसका वो हवाला दे रहे हैं वो सीमा कार्रवाई दल द्वारा की गई कार्रवाई है. यह समूचे विश्व में की जाने वाली और भारतीय सेना द्वारा की गई एक सामान्य कार्रवाई है.’ अवधारणा को स्पष्ट करते हुए मंत्री ने कहा कि इस तरह के अभियान आधिकारिक आदेश के बिना अथवा सरकार की पूर्व अनुमति के बिना किए जाते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘यह बिना किसी जानकारी के किया जाता है. रिपोर्ट बाद में दी जाती है.’ उन्होंने कहा कि स्थानीय कमांडर हिसाब बराबर करने के लिए ऐसी कार्रवाई करते हैं. पर्रिकर ने साफ कर दिया कि पहले के विपरीत इस बार यह लक्षित हमला था क्योंकि ‘‘फैसला किया गया था और जानकारी’ दी गई और सेना ने अच्छा काम किया.
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक अभियान था, जो सरकार और राष्ट्र की मंशा का साफ तौर पर संकेत देता है.’ पर्रिकर ने कहा कि अगर सरकार इसका राजनैतिक लाभ लेना चाहती है तो सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) की बजाय उन्होंने खुद इसकी घोषणा की होती.