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पाकिस्तानी मीडिया की सुर्खियों में भारतीय नेता

राहुल गांधी का ‘खून की दलाली’ वाला बयान पाकिस्तान में सुर्खियां बटोर रहा है. पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सैन्य कार्रवाई का राजनीतिक लाभ ले रही भाजपा और इसके सबसे बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेंद मोदी पर आरोप लगाते हुए राहुल गांधी ने हाल ही में कहा था कि मोदी शहीद जवानों के खून की दलाली […]

राहुल गांधी का ‘खून की दलाली’ वाला बयान पाकिस्तान में सुर्खियां बटोर रहा है. पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सैन्य कार्रवाई का राजनीतिक लाभ ले रही भाजपा और इसके सबसे बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेंद मोदी पर आरोप लगाते हुए राहुल गांधी ने हाल ही में कहा था कि मोदी शहीद जवानों के खून की दलाली कर रहे हैं. इस पर एकाएक राजनीतिक घमसान मच गया है, जिसमें पक्ष और विपक्ष के नेता एक-दूसरे के खिलाफ तल्ख टिप्पणियां कर रहे हैं. इस सियासी सरगरमी की ऊष्मा पाकिस्तान में भी महसूस की जा रही है. वहां की मीडिया में इसके खूब चर्चे हो रहे हैं.

राहुल गांधी के बयान को उद्धृत करते हुए ‘दुनिया न्यूज’ ने लिखा है कि कश्मीर में हिंसा को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आलोचना और झूठे सर्जिकल स्ट्राइक के दावों पर पाकिस्तान का दबाव झेल रही भारत सरकार के मुखिया, नरेंद्र मोदी के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में एक किसान सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सैन्य कार्रवाई का राजनीतिक लाभ उठाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह खून की दलाली कर रहे हैं. ‘दुनिया न्यूज’ ने लिखा है कि राहुल गांधी का यह बयान मोदी प्रशासन के अंतर्गत भारतीय डीजीएमओ के उस दावे के बाद आया है, जिसमें यह कहा गया है कि पिछले दिनों भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार कर सर्जिकल स्ट्राइक की. भारतीय सेना के इस दावे को पाकिस्तान की मीडिया सेल ने खारिज कर दिया और दुनियाभर की न्यूज एजेंसीज ने भी इसे गलत पाया.

इससे पहले, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीन मिनट का एक वीडियो जारी कर भारत सरकार से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग डाले. पाकिस्तानी मीडिया ने केजरीवाल के इस वीडियो को भुनाते हुए सर्जिकल स्ट्राइक पर फिर सवाल खड़े किये. पाकिस्तानी अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने ‘दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सर्जिकल स्ट्राइक पर उठाये सवाल’ शीर्षक से खबर लगायी. इसमें लिखा है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया के बाद भारत में भी इस पर सवाल खड़े होने लगे हैं. खबर में आगे लिखा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मोदी से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत पेश करने की मांग की है, जिस पर अब भी रहस्य बना हुआ है. ‘नियो न्यूज’ लिखता है कि भारत के नेताओं ने ही अपने सर्जिकल स्ट्राइक के दावे को झूठा करार दे दिया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने मोदी से कहा है कि सर्जिकल स्ट्राइक को साबित करो.

वहीं ‘डॉन’ लिखता है, आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने पाकिस्तान के कंधे पर बंदूक रख कर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उनसे सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत सौंप कर इस मुद्दे पर पाकिस्तान का मुंह बंद करने की मांग की है. ‘डॉन’ आगे लिखता है कि इस मुद्दे पर विपक्ष सरकार के खिलाफ एकजुट होकर सरकार से सबूत मांग रहा है. ‘डॉन’ ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के उस बयान का जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि पाकिस्तान भारतीय सेना के सर्जिकल हमलों से इनकार कर रहा है, लेकिन उन्हें इस बात की फिक्र है कि संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता और पर्यवेक्षक इससे इनकार कर रहे हैं. चूंकि हमारी सरकार के पास सर्जिकल हमले के बारे में पुख्ता सबूत हैं, ऐसे में यह जरूरी है कि हमारी सरकार उन सबूतों को सामने रखे, ताकि यूएनएमओजीआइपी और यूएन के प्रवक्ता को झूठा साबित किया जा सके.

केजरीवाल का वीडियो जारी होने के बाद तो जैसे सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत की मांग करनेवालों की लाइन लग गयी. इसमें ज्यादातर कांग्रेसी ही शामिल रहे. ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने लिखा है कि अरविंद केजरीवाल के बाद भारत में कांग्रेस के कई नेताओं ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाये और कुछ ने तो इसे ‘झूठा और नकली’ तक करार दे दिया. अखबार आगे लिखता है, महाराष्ट्र से कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने मोदी सरकार पर यह आरोप लगाया है कि उसने राजनीतिक लाभ के लिए झूठी सर्जिकल स्ट्राइक की खबर फैला दी. इस कड़ी में अखबार ने दिग्विजय सिंह, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा और पी चिदंबरम जैसे कांग्रेस के बड़े नेताओं का भी बयान जोड़ा है, जिन्होंने भारत सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाया है.

‘पाकिस्तान ऑब्जर्वर’ ने इस खबर को पहले पन्ने पर जगह दी है. शीर्षक है – भारतीय कांग्रेस ने भी मांगे सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत. इसमें अखबार ने संजय निरुपम और आनंद शर्मा के बयानों के साथ अरविंद केजरीवाल का जिक्र करते हुए यह लिखा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा भारत के सर्जिकल अटैक के दावों की सत्यता पर सवाल उठाने के एक दिन बाद विपक्ष के अन्य नेताओं ने भी भारत सरकार से ऐसे सबूत पेश करने की मांग की है, जो उनके दावे को पुख्ता कर सकें. सर्जिकल अटैक पर उठ रहे सवालों पर मोदी सरकार की प्रतिक्रिया के बारे में बताते हुए ‘डॉन’ ने लिखा है, भारतीय सेना की इस कार्रवाई पर सवाल उठाने और इसके लिए सबूत मांगने को भारत सरकार ने अपने वीर सैनिकों का अपमान बताया है.

‘डेली टाइम्स’ ने लिखा है कि भारत के कुछ वरिष्ठ राजनेताओं ने अपनी सरकार के सर्जिकल स्ट्राइक संबंधी दावों पर सवाल उठाये हैं. भारत सरकार का दावा है कि उसकी सेना ने पिछले दिनों पाकिस्तान की सीमा में घुस कर सैन्य कार्रवाई की, जिसमें 40 आतंकवादी मारे गये और कुछ आतंकी शिविर नष्ट किये गये. अखबार आगे लिखता है कि अपनी सरकार के दावों पर सवाल उठानेवाले नेताओं ने इस बाबत ठोस सबूत पेश करने की मांग की है, लेकिन भारत सरकार की ओर से अब तक ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया गया है, जिससे सैन्य कार्रवाई का उनका दावा पुख्ता हो.

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