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पत्र जीएम सरसों पर पीएम करें हस्तक्षेप : नीतीश कुमार

पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) सरसों के बीज पर रोक लगाने की अपील की है. पत्र में उन्होंने इस मामले में पीएम से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा है कि राज्य सरकारों की बिना सहमति या विचार के सरसों […]

पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) सरसों के बीज पर रोक लगाने की अपील की है. पत्र में उन्होंने इस मामले में पीएम से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा है कि राज्य सरकारों की बिना सहमति या विचार के सरसों के इस बीज को स्वीकृत नहीं करें. मुख्यमंत्री ने कहा है, इस संबंध में बिहार सरकार का रुख स्पष्ट है. जीएम सीरीज में 2009 में ही बीटी बैगन का सरकार ने विरोध किया था.
राज्य सरकार की समझ है कि कृषि के समावेशी विकास के लिए किसी नये ट्रांसजेनिक तकनीक या खतरनाक तकनीक के सहयोग की जरूरत नहीं है. जीएम सरसों की खेती और इसका उपयोग पर्यावरण व मानव के हित में नहीं है. केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय की एक इकाई जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रुवल कमेटी (जीइएसी) में इसी महीने जीएम सरसों के बीज की मंजूरी की तैयारी चल रही है, जबकि जीएम फसल पर्यावरण और मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि बिहार में जैव विविधता है.
राज्य सरकार जैविक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रही है. जीएम फसल और जैविक खेती साथ-साथ नहीं चल सकती है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि जीइएसी ने किसान और देशवासियों को हानि पहुंचानेवाले जीएम सरसों की खेती को हरी झंडी दे दी है. जीएम सरसों खरपतवार सहिष्णु होता है. ऐसे में भारत के किसानों के लिए चिह्नित रासायनिक खाद का ही उपयोग करना बाध्यता होगी. जब भारत में गैर जीएम सरसों का उन्नत बीज है ही, तो एेसे में जीएम सरसों के बीज के उपयोग की आवश्यकता क्या है?
यदि जीएम सरसों को अनुमति मिलती है, तो देश में उपलब्ध गैर जीएम उन्नत सरसों के लिए खतरा होगा. उन्होंने पीएम से अपील की है कि इस संबंध में किसान और आम लोगों को हानि करनेवाला कोई निर्णय नहीं लें. देश में बीटी कॉटन की खेती का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा है कि बाउल वर्म की वजह से जिस बीटी कॉटन का उपयोग किया गया था, वह उस वर्म का प्रतिरोधी बन गया है. इसके कारण देश के हजारों किसानों को भारी क्षति का सामना करना पड़ा है.
जीइएसी की 129 वीं बैठक के निर्णय में कहा गया है कि यदि राज्य सरकार 90 दिनों में इसके लिए अनुमति नहीं देती है, तो यह मान लिया जायेगा कि इसकी अनुमति मिल गयी है.
मुख्यमंत्री ने इसे गलत बताते हुए कहा है कि यह किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है. यदि 90 दिनाें में सरकार इसे स्वीकार नहीं करती है, तो इसे अस्वीकार के रूप में समझना चाहिए. उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार जीएम सरसों के मामले में राज्य सरकारों पर अपना निर्णय थोपने जा रही है.

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