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कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो ने कहा, धर्म से आदिवासियत पर कोई अंतर नहीं पड़ता है

रांची: कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो ने कहा कि आदिवासियत धर्म पर आधारित नहीं है. हम जन्म से आदिवासी हैं और इसे कौन बदल सकता है? धर्म के मामले में संविधान ने अंत:करण की स्वतंत्रता की बात कही है. आदिवासी देश के किसी भी हिस्से में जाये, वह आदिवासी ही है़ं यदि किसी राज्य की सरकार […]

रांची: कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो ने कहा कि आदिवासियत धर्म पर आधारित नहीं है. हम जन्म से आदिवासी हैं और इसे कौन बदल सकता है? धर्म के मामले में संविधान ने अंत:करण की स्वतंत्रता की बात कही है. आदिवासी देश के किसी भी हिस्से में जाये, वह आदिवासी ही है़ं यदि किसी राज्य की सरकार उसे अनुसूचित जनजाति की सुविधा नहीं देती है, तो यह दूसरी बात है, पर उसकी आदिवासियत की पहचान होनी चाहिए़ अनुसूचित जाति (एससी) ईसाईयों को भी अनुसूचित जाति का लाभ मिले़ यह मानवाधिकार की बात है़ .

वह रिजनल बिशप्स कांफ्रेंस, कैथोलिक रिलीजियस आॅफ इंडिया व कैथोलिक डायसिसन प्रीस्ट्स ऑफ इंडिया की दो दिवसीय बैठक के समापन पर संत अन्ना जेनरलेट, सामलौंग में पत्रकारों से रूबरू थे़ कार्डिनल ने शुक्रवार को बिशप के रूप में 38 साल भी पूरे किये़ सात अक्तूबर 1978 को दुमका के दुधानी में उनका इस पद पर अभिषेक हुआ था़.

कई उपलब्धियां
एक बिशप के रूप में 38 सालों में क्या बदलाव देखा? उन्होंने कहा कि देश व राज्य में कई बदलाव आये है़ं सरकारें बदली हैं, सड़कें अच्छी हुई है़ं सड़क जाम की समस्या बढ़ी है़ सभी लोगों पर प्रभाव पड़ा है़ चर्च के लोगों में शिक्षण संस्थानों के अल्पसंख्यक दर्जा, जमीन की समस्या जैसे मुद्दों से जुड़ी चिंताएं है़ं दूसरी ओर, इसने कई उपलब्धियां भी हासिल की है़ं मेडिकल कॉलेज का काम शुरू हुआ है़ राजाउलातू चर्च को माइनर बसेलिका का दर्जा मिला है़ कई गिरजाघर, स्कूल-कॉलेज बने है़ं
स्थानीयता नीति से आदिवासी अस्मिता पर आंच न आये
झारखंड की स्थानीयता नीति से जुड़े प्रश्न पर कहा कि हमारी अस्मिता पर आंच नहीं आनी चाहिए़ हम यहां के बाशिंदे है़ं 30 वर्षों की समय सीमा तय होने पर आदिवासी कहीं नहीं रह जायेंगे़ एक धर्मगुरु होने के नाते वह सबकी सुनते हैं और सबकी बात कहते है़ं वर्तमान परिस्थितियों में क्या चर्च चिंतित है? इस पर उन्होंने कहा कि चर्च किसी का बुरा नहीं करता, भला ही करते है़ं हमें डर-भय नहीं है़ कई ने शहादत दी है़ झारखंड के विकास में चर्च के योगदान को नकार नहीं सकते़ इसने शिक्षा द्वारा समुदाय के जीवन में बदलाव लाया है़ हमारे लोगों को तमाम चुनौतियों के बावजूद सच्चा मसीही बने रहना है़ जब सही मायने में मसीही होंगे, तो एक दूसरे से प्रेम करेंगे़ सबके साथ भाईचारगी रहेगी़

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