नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मशहूर हाजी अली दरगाह के गर्भ गृह के निकट महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटाने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले पर लगी रोक की अवधि को आज 17 अक्तूबर तक बढा दिया. इस मामले में न्यायालय 17 अक्तूबर को सुनवाई करेगा. प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ ने आशा व्यक्त की कि हाजी अली दरगाह ट्रस्ट इस मामले में प्रगतिशील रुख अपनायेगी. इस ट्रस्ट ने ही उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है.
न्यायालय ने ट्रस्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम के अनुरोध पर सुनवाई स्थगित कर दी. पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने फैसले के क्रियान्वयन पर जो रोक लगायी थी वह सुनवाई की अगली तारीख 17 अक्तूबर तक प्रभावी रहेगी. सुब्रमण्यम ने पीठ को विश्वास दिलाया कि वह ‘प्रगतिशील मिशन’ पर हैं और पवित्र पुस्तकें और धर्मग्रंथ समता को बढावा देते है और पीछे की ओर ले जाने वाला कोई सुझाव नहीं दिया जाना चाहिए.
पीठ ने भी टिप्पणी की ‘‘यदि आप पुरुषों और महिलाओं दोनों को ही एक स्थान से आगे नहीं जाने दे रहे हैं तो कोई समस्या नहीं है लेकिन यदि आप कुछ लोगों को एक सीमा से आगे जाने दे रहे हैं और दूसरों को नहीं तो निश्चित ही समस्या है.’ पीठ ने कहा कि इसी तरह का एक मामला पहले से ही केरल में सबरीमाला मंदिर को लेकर न्यायालय में लंबित है. पीठ ने कहा कि यह समस्या सिर्फ मुस्लिम समुदाय में ही नहीं बल्कि हिन्दुओं में भी है.
महिला समूह की ओर से पेश वकील ने महिलाओं को दरगाह के गर्भ गृह के निकट नहीं जाने देने के ट्रस्ट के व्यवहार को चुनौती दे रखी है. इस वकील ने कहा कि आज की स्थिति के मुकाबले 2011 से पहले स्थिति भिन्न थी. उच्च न्यायालय ने 26 अगस्त को अपने फैसले में कहा था कि गर्भ गृह के निकट महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का ट्रस्ट का निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 के खिलाफ है और महिलाओं को पुरुषों की तरह ही गर्भ गृह तक जाने की अनुमति दी जानी चाहिए.