असमंजस. विशेष कोर्ट में जज की तैनाती नहीं होने से सुनवाई बाधित
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कल पेशी को लेकर अनिश्चितता बरकरार
असमंजस. विशेष कोर्ट में जज की तैनाती नहीं होने से सुनवाई बाधित भागलपुर जेल में पूर्व सांसद के बंद होने के कारण भी नहीं हुई सुनवाई राजीव रोशन हत्याकांड में दौरा सुपुर्दगी की कार्रवाई है लंबित सीवान : पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के खिलाफ दर्ज मुकदमों में सरकारी पैरवी ढीली होने के आरोप को झेल […]
भागलपुर जेल में पूर्व सांसद के बंद होने के कारण भी नहीं हुई सुनवाई
राजीव रोशन हत्याकांड में दौरा सुपुर्दगी की कार्रवाई है लंबित
सीवान : पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के खिलाफ दर्ज मुकदमों में सरकारी पैरवी ढीली होने के आरोप को झेल रही सरकार की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. एक बार फिर शुक्रवार को कोर्ट में सुनवाई को लेकर अनिश्चितता बरकरार है. विशेष अदालत में सुनवाई की तिथि तय होने के बावजूद अब तक जज की तैनाती नहीं होने से यह परेशानी उत्पन्न हुई है.
राजीव रोशन हत्याकांड में हाइकोर्ट से मिली जमानत को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज करने के बाद अब मंडल कारागार में पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन बंद हैं. उनसे जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए मंडल कारा में ही पहले से विशेष अदालत का गठन किया जा चुका है. इस अदालत में प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी मनोज कुमार श्रीवास्तव की तैनाती थी. उनकी पदोन्नति के बाद सितंबर से यहां सब जज आठ के पद पर तैनाती हो गयी है. इसके चलते विशेष अदालत की सुनवाई लंबित है.
विशेष अदालत में तैनाती के लिए जिला व सत्र न्यायाधीश द्वारा हाइकोर्ट को पत्र भी लिखा जा चुका है. इसके बाद भी अब तक नयी तैनाती नहीं हुई है. इस बीच सात अक्तूबर शुक्रवार को राजीव रोशन हत्याकांड में विशेष अदालत में सुनवाई के लिए तिथि तय है. इस दिन दौरा सुपुर्दगी की कार्रवाई होनी है.
इस संबंध में कहा जाता है कि वर्ष 2014 में तत्कालीन सीजेएम अशोक राज द्वारा राजीव रोशन हत्याकांड में संज्ञान लिया गया था. इसके बाद मुकदमा की दौरा सुपुर्दगी (केस डायरी को अभियुक्त को सौंपना) होनी थी. लेकिन बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा संज्ञान के विरुद्ध जिला व सत्र न्यायाधीश की अदालत में क्रिमिनल रिविजन दाखिल किया, जो सुनवाई के लिए चतुर्थ अपर जिला व सत्र न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव के यहां चला, जहां से पिछले तीन माह पूर्व खारिज हो गया. दौरा सुपुर्दगी के लिए मूल
अभिलेख विशेष अदालत में चला गया, लेकिन पूर्व सांसद के केंद्रीय कारा, भागलपुर में होने के कारण सुपुर्दगी की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई. इसके बाद से मुकदमे की प्रगति वहीं पड़ी हुई है.
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