शिक्षा विभाग के नोटिस का नहीं दिया जवाब
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बिना निबंधन चल रहे निजी स्कूलों पर कसेगा शिकंजा
शिक्षा विभाग के नोटिस का नहीं दिया जवाब विभाग ने 15 दिनों का दिया अल्टीमेटम गैर निबंधित निजी स्कूलों में उड़ रही आरटीइ की धज्जियां भभुआ नगर : जिले के ग्रामीण सहित शहरी क्षेत्रों में बिना रजिस्ट्रेशन के धड़ल्ले से चल रहे निजी स्कूलों पर भी कार्रवाई की जायेगी. ऐसे स्कूलों को कई बार विभाग […]
विभाग ने 15 दिनों का दिया अल्टीमेटम
गैर निबंधित निजी स्कूलों में उड़ रही आरटीइ की धज्जियां
भभुआ नगर : जिले के ग्रामीण सहित शहरी क्षेत्रों में बिना रजिस्ट्रेशन के धड़ल्ले से चल रहे निजी स्कूलों पर भी कार्रवाई की जायेगी. ऐसे स्कूलों को कई बार विभाग द्वारा नोटिस भेजे जाने के बावजूद ये स्कूल रजिस्ट्रेशन कराने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं. मनमानी कर स्कूलों का संचालन कर अपनी जेबें भर रहे हैं. शिक्षा के नाम पर नियमों को ताक पर रख चल रहे ऐसे स्कूलों की जांच का सिलसिला भी जल्द शुरू किया जायेगा. इसके लिए विभाग द्वारा टीम गठित कर ऐसे स्कूलों पर लगाम लगाने की योजना है.
रजिस्ट्रेशन नहीं करानेवाले स्कूलों को बंद किये जाने की कार्रवाई भी विभाग करेगा. शिक्षा विभाग को ऐसी सूचनाएं प्राप्त हुई हैं कि निजी स्कूलों का संचालन अधिकांशत: छोटे-छोटे कमरों व जर्जर भवन में होता है. मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए चल रहे इन स्कूलों को विभाग ने पंद्रह दिनों का अल्टीमेटम रजिस्ट्रेशन के लिए दिया है. इस समयावधि में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं करनेवाले स्कूल संचालकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
मात्र 62 स्कूल हैं निबंधित : जिले में निजी स्कूलों की संख्या सैकड़ों में है लेकिन, विभाग के पास भी इसका सही-सही आंकड़ा नहीं है. इसके चलते इनपर लगाम लगाने की दिशा कारगर पहल नहीं की गयी है. कोचिंग सेंटरों पर सख्ती के बाद अब निजी स्कूलों की बारी है. बिना रजिस्ट्रेशन के ऐसे स्कूलों को संचालित किये जाने पर अब पूरी तरह बैन लगाने का मूड विभाग बना चुका है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में अब तक 62 निजी स्कूलों ने ही विभाग से रजिस्ट्रेशन कराया है जो तय मानकों व नियमों का पालन करते हुए संचालित हो रहे हैं.
आरटीइ की उड़ रही धज्जियां
बिना रजिस्ट्रेशन के चले रहे निजी स्कूलों में आरटीइ (राइट टू एजुकेशन एक्ट) की खुलेआम धज्जियां उड़ायी जा रही है. आरटीई के तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों का एडमिशन भी लिया जाना है लेकिन, इस नियम का पालन सिर्फ निबंधित स्कूल ही कर रहे हैं. इसके अलावे अगर अन्य सुविधाओं की बात करे तो कई स्कूल किराये के मकानों में संचालित हो रहे हैं जिनमें न तो बच्चों के लिए पर्याप्त कमरे हैं और न हीं खेलकूद के लिए प्ले ग्राउंड. बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव होने के बावजूद ये स्कूल हर साल लाखों-करोड़ों का कारोबार कर रहे हैं और सरकार के नियमों को ठेंगा दिखा रहे हैं.
सीबीएसइ से संबद्धता का दावा : जिले में कई ऐसे निजी स्कूल हैं जो न तो विभाग से निबंधित हैं व न ही सीबीएसइ से. लेकिन, कई स्कूलों द्वारा भ्रामक प्रचार-प्रसार कर सीबीएसइ से संबद्धता का दावा भी करते हैं. स्कूलों में बच्चों से मनमाने तरीके से फीस वसूली और अन्य गतिविधियों के नाम पर बच्चों के अभिभावकों से मोटी रकम ऐंठी जा रही है. इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं होने से इनके हौंसले काफी बुलंद हैं.
कहते हैं डीपीओ
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी देवबिंद कुमार द्वारा बताया गया कि बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे निजी स्कूलों को 15 दिनों का समय रजिस्ट्रेशन के लिए दिया गया है. इस समयावधि में रजिस्ट्रेशन नहीं करानेवाले स्कूलों के विरुद्ध नियमानुकूल कार्रवाई की जायेगी.
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