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हाइकोर्ट ने पूर्ण शराबबंदी की अधिसूचना रद्द की, सुप्रीम कोर्ट जायेगी राज्य सरकार

पटना : पटना हाइकोर्ट ने राज्य में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने संबंधी अधिसूचना को शुक्रवार को निरस्त कर दिया. मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद सिंह के खंडपीठ ने इस संबंध में दिन के 11 बजे अपना फैसला सुनाया. अपने फैसले में खंडपीठ ने कहा कि राज्य में शराब की खपत […]

पटना : पटना हाइकोर्ट ने राज्य में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने संबंधी अधिसूचना को शुक्रवार को निरस्त कर दिया. मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद सिंह के खंडपीठ ने इस संबंध में दिन के 11 बजे अपना फैसला सुनाया. अपने फैसले में खंडपीठ ने कहा कि राज्य में शराब की खपत और इसकी बिक्री पर रोक संबंधी राज्य सरकार की पांच अप्रैल की अधिसूचना संविधान के अनुरूप नहीं है, इसलिए यह लागू करने योग्य नहीं है.
फैसला सुनाते वक्त अदालत में खचाखच भीड़ थी. अदालत ने 19 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है. प्राप्त सूचना के अनुसार हाइकोर्ट का फैसला आने के साथ ही इसकी तैयारी शुरू कर दी गयी है.
हालांकि, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि हाइकोर्ट का फैसला सरकार को अभी नहीं मिला है. फैसले की कॉपी मिलने के बाद इसका अध्ययन किया जायेगा. इसके बाद ही इस मामले पर कुछ भी स्पष्ट कहा जा सकता है.
नीतीश कुमार के नेतृत्ववाली महागंठबंधन सरकार ने सबसे पहले एक अप्रैल को देशी शराब के उत्पादन, बिक्री, कारोबार, खपत को प्रतिबंधित किया था, लेकिन बाद में पांच अप्रैल को उसने राज्य में विदेशी शराब सहित हर तरह की शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था.
इसके खिलाफ मेसर्स सम्राट लेबोरेटरी बेवरेज प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स शिवा लेबरोट्रीज प्राइवेट और 21 अन्य ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर अपने फैसले में कोर्ट ने बिहार उत्पाद अधिनियम, 1915 और बिहार उत्पाद अधिनियम 2016 की धारा 19-4 द्वारा मिली शक्ति के आधार पर जारी अधिसूचना को रद्द करने का आदेश दिया है. याचिकाकर्ताओं ने पांच अप्रैल को जारी अधिसूचना को पटना हाइकोर्ट में चुनौती दी थी. सरकार ने शराबबंदी को लेकर चार फरवरी, 29 फरवरी और 17 मार्च 2016 को जारी अधिसूचना जारी की थी.
इन तीनों अधिसूचनाओं में राज्य सरकार ने रेक्टिफायड स्पिरिट, इथनॉल, डी-नेचर्ड स्पिरिट को बनाने व बेचने पर पाबंदी लगायी थी. कोर्ट ने अपने 65 पेज के फैसले में बिहार सरकार की ओर से जारी तीनों अधिसूचना के लिए काफी कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार का आदेश ‘नल एंड एववायड यानी मानने योग्य नहीं ’और ‘अल्ट्रा वायरस यानी भारतीय संविधान के अनुरूप नहीं है.’ कोर्ट ने सभी डीएम को आदेश दिया है कि जो भी लाइसेंस रद्द किये गये थे, उन्हें पुन: दोबारा जारी किया जा सकता है और फिर से नया लाइसेंस मंजूर कर सकते हैं. कोर्ट ने शराब के कारोबारियों को उनके व्यापार में किसी तरह की बाधा उत्पन्न करने से मना किया है.
फैसले में अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि आप इससे संबंधित व्यवसाय या उद्योग में किसी भी प्रकार की बाधा पैदा नहीं करेंगे. सुनवाई के दौरान पटना हाइकोर्ट ने चार जुलाई, 2016 और छह अगस्त, 2016 को जारी सरकार की अधिसूचना को भी प्रभावी नहीं माना है. साथ ही यह भी कहा कि कोई भी शराब बनानेवाली इंडस्ट्री अपने स्टॉक को, जिसका संबंध डी-नेचर्ड स्पिरिट से हो या उससे संबंधित कोई उत्पाद से हो, तो उसके स्टॉक को नष्ट नहीं करेंगे.
सरकार का कोई भी ऑथोरिटी भी इसे नहीं रोकेगा. अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि वह शराब से संबंधित किसी भी प्रकार के लाइसेंस को राज्य सरकार न तो कैंसिल कर सकती है और न ही रिफ्यूज कर सकती है.
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में शराब के लाइसेंस जारी करने के एवज में एक कराेड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा ले रखी है. यह व्यापारियों का अनुपयोगी पैसा है. इससे पता चलता है कि सरकार ने कानून के हिसाब से गलत फैसला लिया है.
19 अगस्त को फैसला रखा था सुरक्षित
देशी शराब पर प्रतिबंध पर फैसले का असर नहीं
हाइकोर्ट के फैसले के बाद राज्य में फिर से विदेशी शराब बिकेगी या नहीं, इस पर अभी तक संशय बना हुआ है. शुक्रवार को कोर्ट ने अपना फैसला सिर्फ विदेशी शराब को लेकर सुनाया है. इससे यह स्पष्ट होता है कि देशी शराब पर लागू प्रतिबंध बदस्तूर जारी रहेगा. जहां तक विदेशी शराब का मामला है, तो हाइकोर्ट के फैसले को सरकार मानने के लिए बाध्य होगी.
दो अक्तूबर से प्रभावी हो जायेगा शराबबंदी का नया कानून
पटना : पूर्ण शराबबंदी की अधिसूचना को पटना हाइकोर्ट द्वारा रद्द कर दिये जाने के बाद भी प्रदेश में शराबबंदी कानून लागू होगा. राज्य सरकार दो अक्तूबर से नये उत्पाद विधेयक (बिहार उत्पाद संशोधन विधेयक, 2016 को लागू करने जा रही है. इसे राजभवन की सहमति मिल चुकी है.
रविवार को कैबिनेट की आपात बैठक बुलायी गयी है, जिसमें मंत्रियों को हाइकोर्ट के फैसले की जानकारी दी जायेगी. साथ ही माॅनसून सत्र में विधानमंडल से पारित इस विधेयक को लागू करने पर सहमति दी जायेगी. इसके बाद दो अक्तूबर से इसे प्रभावी होने की सरकारी अधिसूचना जारी कर दी जायेगी. इधर, हाइकोर्ट का फैसला आने के बाद शुक्रवार की शाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक हुई. बैठक में प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर भी शामिल हुए. उन्होंने मुख्यमंत्री को हाइकोर्ट के फैसले की जानकारी दी.
बैठक में हाइकोर्ट के फैसले के साथ-साथ दो अक्तूबर से लागू होनेवाले नये शराबबंदी कानून पर मंथन किया गया. सभी बिंदुओं पर चर्चा की गयी, ताकि कानून को दो अक्तूबर से सख्ती से लागू किया जा सके. बैठक में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, गृह सचिव आमिर सुबहानी और पुलिस अधिकारी भी शामिल हुए.
बैठक के बाद प्रधान अपर महाधिवक्ता ने कहा कि दो अक्तूबर से नये कानून को प्रभावी होने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है. इसे राज्यपाल की सहमति मिल चुकी है और कोर्ट ने भी इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है. उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट में भी इस विधेयक को चुनौती नहीं दी गयी थी. अपने फैसले में कोर्ट ने इसका जिक्र भी नहीं किया है. ललित किशोर ने कहा कि हाइकोर्ट ने शराबबंदी को लेकर सरकार की ओर से लाये गये संशोधन की धारा 19-4, जिसके तहत शराबबंदी लागू की गयी थी, को रद्द किया है. फैसले में देसी शराब के संबंध में कोई चर्चा नहीं की गयी है.
नये कानून में सरकार ने शराबबंदी को लेकर सजा के प्रावधान को और कड़ा बनाया है.उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि हाइकोर्ट का फैसला सरकार को अभी नहीं मिला है. फैसले की कॉपी मिलने के बाद इसका अध्ययन किया जायेगा. इसके बाद ही इस मामले पर कुछ भी स्पष्ट कहा जा सकता है.

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