नयी दिल्ली : पाकिस्तान को एक और झटका देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंबलवार रात फैसला किया कि वह इस्लामाबाद में नवंबर में होने वाले दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे. इसके बाद इस आठ सदस्यीय समूह के तीन और देशों ने भी सम्मेलन से अलग रहने का निर्णय लिया.
पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ सीमा पार आतंककवाद जारी रखने का हवाला देते हुए सरकार ने आज रात ऐलान किया कि ‘मौजूदा हालात में भारत सरकार इस्लामाबाद में प्रस्तावित शिखर सम्मेलन में भाग लेने में असमर्थ है. ‘ सूत्रों के अनुसार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान ने भी 19वें दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने का फैसला किया है. इस शिखर सम्मेलन को रद्द करना होगा क्योंकि दक्षेस चार्टर के अनुसार किसी एक शासन प्रमुख की अनुपस्थिति में भी शिखर सम्मेलन नहीं हो सकता.
इस फैसले की घोषणा करते हुए भारत ने मंगलवार रात कहा कि ‘‘एक देश’ ने ऐसा माहौल बना दिया है जो शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के अनुकूल नहीं है. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत ने दक्षेस के मौजूदा अध्यक्ष नेपाल को अवगत करा दिया है कि क्षेत्र में सीमापार से आतंकवादी हमलों में वृद्धि और एक देश द्वारा सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में बढते हस्तक्षेप ने ऐसा वातावरण बना दिया है जो 19वें दक्षेस सम्मेलन के सफल आयोजन के अनुकूल नहीं है.’ इसमें कहा गया है कि मौजूदा परिदृश्य में भारत सरकार इस्लामाबाद में प्रस्तावित सम्मेलन में शामिल होने में असमर्थ है.
इसमें कहा गया है कि हम यह भी समझते हैं कि दक्षेस के कुछ अन्य सदस्य देशों ने भी नवंबर 2016 में इस्लामाबाद में आयोजित सम्मेलन में शामिल होने को लेकर अपनी असमर्थता जतायी है. नेपाल को भेजे पत्र में भारत ने कहा कि वह क्षेत्रीय सहयोग और संपर्क के प्रति अपनी दृढता पर कायम है लेकिन उसका मानना है कि ये सब आतंकवाद मुक्त माहौल में ही हो सकता है.
पाकिस्तान ने दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने के भारत के निर्णय को आज ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया. पाकिस्तानी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान ने भारतीय प्रवक्ता के उस ट्वीट का संज्ञान लिया है जिसमें भारत ने यहां आयोजित होने वाले 19वें दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने की घोषणा की है.
प्रवक्ता ने देर रात जारी बयान में कहा, ‘‘हमें इस संदर्भ में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है, लेकिन भारत की घोषणा दुर्भाग्यपूर्ण है.’ भारत की ओर से दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने की घोषणा ऐसे दिन की गयी है जब विदेश सचिव एस जयशंकर ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को उरी हमले को लेकर दूसरा डिमार्र्श जारी किया और उन्हें उस आतंकवादी हमले में ‘‘सीमापार स्रोत’ के सबूत दिखाये जिसमें 18 जवान शहीद हो गए थे.
उरी हमले के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और 56 वर्ष पुरानी सिंधु जल संधि की समीक्षा की है. इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान को एकतरफा दिए गए सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) के दर्ज की समीक्षा करने का फैसला किया है. विदेश सचिव ने बासित को बुलाया और उन्हें बताया कि प्रारंभिक जांच के अनुसार उरी घटना में मारे गए एक हमलावर की पहचान हाफिज अहमद के तौर पर हुई है जो फिरोज का पुत्र और मुजफ्फराबाद के धारबंग का निवासी है. जांच में आतंकवादियों के पाकिस्तान स्थित आकाओं का ब्यौरा भी मिला है. दोनों देश संयुक्त राष्ट्र में वाकयुद्ध में उलझे हुए हैं और भारत ने पाकिस्तान को ‘‘आतंकवादी देश’ तथा आतंकवाद का वैश्विक केंद्र कहा है.
* तो नहीं हो पाएगा सार्क सम्मेलन
इसी साल नवंबर में इस्लामाबाद में होने जा रहे सार्क सम्मेलन में भारत सहित चार देशों ने भाग नहीं लेने का फैसला लिया है. इस स्थिति में सम्मेलन स्थगित होने की संभावना बढ़ गयी है. क्योंकि अगर कोई एक देश में भाग नहीं लेता है तो सम्मेलन नहीं हो सकता है.
* पाकिस्तान को आर्थिक चोट भी पहुंचाने की तैयारी में है भारत
उरी हमले को लेकर भारत सख्त रूख अपना लिया है. भारत का प्रयास है कि पाकिस्तान को हर क्षेत्र में कमजोर कर दिया जाए और इस ओर भारत ने अपना कदम बढ़ा भी लिया है. खबर है कि भारत पाकिस्तान से एमएफएम (व्यापार के लिए सबसे पसंदीदा देश) का दर्जा भी छीनने की तैयारी में है.
भारत अगर ऐसा कोई कदम उठाता है तो पाकिस्तान को इससे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि इसके तहत पाकिस्तान को भारत के साथ व्यापार करने के लिए अतिरिक्त छुट मिली हुई है. दर्जा छीन जाने से व्यापारिक रिश्तों में कमी आएगी. भारत ने पाकिस्तान को 1996 में यह दर्जा दिया था. पाकिस्तान ने 2012 में भारत को इसी तरह का दर्जा देने की तैयारी में था, लेकिन बाद में वह इससे मुकर गया.
* यूएन में सुषमा ने पाकिस्तान को सभी मोर्चे पर घेरा
यूएन में पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के द्वारा भारत पर लगाये गये सारे आरोपों का कल विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक-एक कर करारा जवाब दिया और विश्व समुदाय के सामने उसकी सारी पोल खोल दी. सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान को साफ कर दिया है कि वो कोई मुगालते में नहीं रहे क्योंकि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा. उन्होंने उरी हमले के बारे में विश्व को बताया कि इसके पीछे पाकिस्तान का ही हाथ है और इसका सबूत भारत सौंप चुका है.
सुषमा ने मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में बताया कि पाकिस्तान दूसरों पर आरोप लगाने से पहले अपने गिरबां में झांके, क्योंकि बलूचिस्तान में जो हो रहा है वो मानवाधिकार उल्लंघघन की पराकाष्ठा है. सुषमा ने पाकिस्तान को चेतावनी दी और संदेश दिया कि जिनके घर शीशे के होते हैं वो दूसरे के घर पर पत्थर नहीं फेंकते.