लखनऊ :उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव से पहले संभवत: आखिरी कैबिनेट विस्तार करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार में आज दागी पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रजापति सहित चार मंत्रियों को शामिल किया गया जबकि छह राज्य मंत्रियों को ‘पदोन्नत’ किया गया है.
राजभवन में आयोजित समारोह में राज्यपाल राम नाईक ने गायत्री, मनोज पांडेय, शिवाकांत ओझा और जियादुद्दीन रिजवी को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी. दो हफ्ते पहले बर्खास्त गायत्री को राज्य कैबिनेट में शामिल करने के फैसले को एक सामाजिक कार्यकर्ता ने हालांकि चुनौती दी थी.
रिजवी जून में हुए कैबिनेट विस्तार में शपथ नहीं ले पाये थे क्योंकि वह उस समय विदेश में थे.अखिलेश यादव सरकार 2012 में सत्ता में आयी थी. तब से अब तक उसका यह आठवां विस्तार है. अब उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद में अधिकतम 60 मंत्री हैं.दिलचस्प बात यह है कि गायत्री के साथ बर्खास्त किये गये राज किशोर सिंह वापसी करने में नाकामयाब रहे.
स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री रहे रियाज अहमद, यासर शाह और रविदास मेहरोत्रा को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. राज्य मंत्री अभिषेक मिश्रा, नरेन्द्र वर्मा और शंखलाल माझी को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है.अखिलेश मंत्रिपरिषद में अब 32 कैबिनेट मंत्री, नौ स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री तथा 19 राज्य मंत्री हैं.
विधानसभा चुनाव से पहले स्वच्छ छवि बनाने की कोशिश में अखिलेश ने दो हफ्ते पहले गायत्री को बर्खास्त किया था. उनके इस कदम से हालांकि सपा में जबर्दस्त राजनीतिक संकट पैदा हो गया. समझौता फार्मूला के तहत गायत्री की वापसी हुई है और इसमें सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की रजामंदी थी.
शपथ ग्रहण समारोह से 48 घंटे पहले सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने राज्यपाल को अर्जी देकर गायत्री को मंत्रिपरिषद में शामिल करने पर आपत्ति जतायी.नूतन ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई जांच के आदेश दिये जाने के बाद भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते गायत्री को मंत्री पद से हटा दिया गया था और अब उन्हें फिर शामिल किया जा रहा है.
गायत्री और खनन विभाग के अधिकारियों पर सीबीआई का शिकंजा कसने का संकेत मिलते ही उन्हें बर्खास्त किया गया था.उच्च न्यायालय ने सीबीआई से कहा है कि वह कथित अवैध खनन में सरकारी अधिकारियों की भूमिका की जांच करे.गायत्री उस समय सुर्खियों में आये, जब नूतन ने लोकायुक्त के समक्ष शिकायत दर्ज कर उन पर भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति होने के गंभीर आरोप लगाये.
बताया जाता है कि अखिलेश गायत्री से नाराज थे क्योंकि अवैध खनन को बढावा देने के आरोपों से घिरे गायत्री विवादों में आ गये थे. विपक्ष ने हालांकि आरोप लगाया कि खनन क्षेत्र के भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए गायत्री को बर्खास्त किया गया है.
गायत्री फरवरी 2013 में अखिलेश सरकार में बतौर राज्य मंत्री शामिल हुए. फिर उन्हें खनन विभाग दे दिया. जुलाई 2013 में गायत्री को स्वतंत्र प्रभार वाला राज्य मंत्री बनाया गया. जनवरी 2014 में गायत्री को प्रोन्नति दे कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया.