शहाबुद्दीन का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने आग्रह किया कि मामले पर शुक्रवार को सुनवाई की जाए क्योंकि जेठमलानी मौजूद नहीं हैं और उपयुक्त बचाव के लिए मामले के बड़े केस रिकॉर्ड को पढ़ने की जरुरत है. पीठ ने कहा, ‘‘चूंकि मामले में आरोप-प्रत्यारोप लगाये जा रहे हैं इसलिए दोनों पक्षों की बात सुने बगैर हम आदेश पारित नहीं करेंगे. हम इसे बुधवार यानि 28 सितंबर के लिए तय कर रहे हैं.’
शहाबुद्दीन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील शेखर नफाडे ने कहा कि उनका मुवक्किल मीडिया ट्रायल से पीड़ित है और उसे अपना मामला प्रस्तुत करने के लिए पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए. शहाबुद्दीन को सात सितंबर को पटनाहाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी. जिसके बाद दस सितंबर को वह भागलपुर जेल से रिहा हो गये थे. वह दर्जनों मामलों में 11 वर्ष से जेल में बंद थे.
इससे पहले पूर्व राजद सांसद मो शहाबुद्दीन को मिली जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की गयी है. चंद्रकेश्वर प्रसाद की पत्नी कलावती देवी की ओर से दायर इस याचिका में पटना हाइकोर्ट के इस साल दो मार्च को आये फैसले को चुनौती दी गयी है, जिसमेंं कोर्ट ने शहाबुद्दीन को अपील लंबित रहने के दौरान स्थायीजमानत दी थी. उनकी याचिका पर संभवत: सोमवार को सुनवाई हुई.जिस मामले में शहाबुद्दीन को हाइकोर्ट से जमानत मिली है, उसमें उन्हें पहले ही उम्रकैद की सजा दी जा चुकी है.
कलावती देवी ने अपनी याचिका में दावा किया है कि हाइकोर्ट ने इस तथ्य पर जरा भी गौर नहीं किया है कि शहाबुद्दीन एक खतरनाक अपराधी है, जिसे कानून की जरा भी परवाह नहीं है. इसमें आगे कहा गया है कि हत्या, अपहरण जैसे गंभीर अपराधों के दोषी को जमानत भी दे दी गयी, जबकि उसके खिलाफ कई और मामलों में मुकदमे अभी चल ही रहे हैं, यह तो न्याय का उपहास करने के समान है.