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सुप्रीम कोर्ट ने गुटखे की िबक्री व िनर्माण पर लगायी रोक

पटना. सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में जर्दा व पान मशाला का अलग-अलग पाउच में निर्माण और बिक्री पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने सभी राज्य के स्वास्थ्य सचिवों और खाद्य संरक्षा अयुक्तों को निर्देश दिया है वह नौ अक्तूबर को इस आशय का शपथपत्र दाखिल करें. स्वास्थ्य सचिव यह […]

पटना. सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में जर्दा व पान मशाला का अलग-अलग पाउच में निर्माण और बिक्री पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने सभी राज्य के स्वास्थ्य सचिवों और खाद्य संरक्षा अयुक्तों को निर्देश दिया है वह नौ अक्तूबर को इस आशय का शपथपत्र दाखिल करें. स्वास्थ्य सचिव यह बतायें कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के पालन की दिशा में क्या कार्रवाई की गयी है. बिहार में पहली बार 30 मई, 2012 को गुटखा के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया.

सरकार ने दृढ़ इच्छा शक्ति दिखाते हुए फिर से सात नवंबर 2014 को राज्य में सभी तरह के पान मशाला, सभी तरह के जर्दा और सभी तरह के सुगंधित तंबाकू के उत्पादन और बिक्री पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया. पटना हाइकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए 19 जुलाई, 2016 को सरकार के आदेश को स्थगित कर दिया.

इस मामले पर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. मामले की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को राज्यों को आदेश निर्गत किया है. सीड्स के कार्यपालक निदेश दीपक मिश्रा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय स्वागत योग्य है. इससे आम जनता के स्वास्थ्य को होनेवाले नुकसान को रोका जा सकता है. बिहार जैसे राज्य में कुल 54 प्रतिशत लोग सभी तरह के तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं. इसमें 47 फीसदी बिहारी गुटखा,खैनी और जर्दा जैसे उत्पादों को खाद्य पदार्थ के रूप में प्रयोग करते हैं.

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