राज्य वित्त विभाग द्वारा जारी एक निर्देशिका के अनुसार यह वित्तीय सलाहकार राज्य सरकार की विभिन्न संस्थाआें, नगरपालिकाआें व विश्वविद्यालयों के आर्थिक हिसाब-किताब की निगरानी करेंगे. यही नहीं, इन संस्थानों की विभिन्न परियोजनाआें की स्थिति पर नजर रखना भी इन्हीं की जिम्मेवारी होगी. गौरतलब है कि हालिया दिनों में कुछ विश्वविद्यालयों को मंजूर बजट पर काफी सवाल खड़ा हुआ था.
कुछ दिन पहले कल्याणी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर पर यह आरोप लगा था कि उन्होंने एक आवासन के निर्माण पर आर्थिक नियमों का पालन नहीं कर एक करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर डाला था. इससे पहले स्वशासित संस्थाआें की आेर सरकार कोई खास ध्यान नहीं देती थी. पर अब उन्हें दिये गये फंड का सही इस्तेमाल हो रहा है या नहीं, इसकी भी सरकार खोज-खबर ले रही है. इस प्रकार की घटनाआें पर नियंत्रण पाने के लिए वित्तीय सलाहकार की नियुक्ति के रूप में राज्य सरकार उन पर एक निगरानी तंत्र स्थापित कर रही है. नवान्न का मानना है कि इस कदम से जहां आमदनी व खर्च के क्षेत्र में पारदर्शिता आयेगी, बल्कि काम में भी तेजी आयेगी.