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न्यायिक व्यवस्था में मोहलत परंपरा को अब बाय-बाय

पुराने मामलों के निबटारे को लेकर तंत्रों ने कसी कमर बार बेंच की बैठक का दिखा असर सासाराम कोर्ट : व्यवहार न्यायालय में लंबित पुराने मामलों के निबटारा को लेकर हर तंत्र ने कमर कस ली है़ गत शनिवार की शाम वकीलों के साथ हुई न्यायिक पदाधिकारियों की बैठक में ‘मुहलत’ से तौबा करने के […]

पुराने मामलों के निबटारे को लेकर तंत्रों ने कसी कमर
बार बेंच की बैठक का दिखा असर
सासाराम कोर्ट : व्यवहार न्यायालय में लंबित पुराने मामलों के निबटारा को लेकर हर तंत्र ने कमर कस ली है़ गत शनिवार की शाम वकीलों के साथ हुई न्यायिक पदाधिकारियों की बैठक में ‘मुहलत’ से तौबा करने के लिए लिये गये निर्णय का असर सोमवार को अधिकतर न्यायालयों में दिखा.अभिलेखों में मुहलत के आवेदन पूर्व की तुलना में कम दिखे.किसी किसी केस में डाले गये मोहलत के आवेदनों को न्यायालय चेतावनी के साथ मंजूर किया गया.
गौरतलब है कि पटना उच्च न्यायालय के निर्देश के तहत जिला जज प्रकाश चंद्र जायसवाल ने विचारण के लिए वर्षों से लंबित पुराने मामलों के त्वरित निबटारा के लिए स्थानीय विधिज्ञ संघों को आगे आने का आह्वान किया था.
इस पहल के तहत शनिवार की शाम जिले के तमाम न्यायिक पदाधिकारी, जिला प्रशासन, पुलिस महकमा समेत अनय महकमों के प्रतिनिधियों की रोहतास जिला विधिज्ञ संघ की सभा कक्ष में वकीलों के साथ बैठक हुई. बैठक की अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष राममूर्ति सिंह ने की थी. जिला जज ने 10 से 15 वर्ष पुराने मामलों को रोहतास के माथे पर बदनुमा दाग बताते हुए वकीलों से निबटारा में सक्रिय सहयोग का आह्वान किया था. प्रधान न्यायाधीश शैलेंद्र नाथ त्रिपाठी अपर जिला न्यायाधीश सुधाकर सिंह, मधुकर कुमार ने मोहलत परंपरा का विलंब का प्रमुख कारण माना था.
वकीलों का पक्ष रखते हुए नरेंद्र पांडेय, भरत प्रसाद श्रीवास्तव, राजेश कुमार, अरुण कुमार, आलोक कुमार के अलावा पीपी चंद्रमा सिंह, जीपी शालिग्राम सिंह ने कहा कि पुराने मामलों के निबटारा में व्यवस्था से जुड़े हुए हर तंत्र को ईमानदारी से अपनी रचानात्मक भूमिका निभानी होगी. तभी जिले के न्यायिक व्यवस्था में आम पक्षकारों का विश्वास कायम रखा जा सकता है. संघ के अध्यक्ष राम मूर्ति सिंह ने भरोसा दिलाया कि इस मुहिम में वकील बढ़-चढ़ कर कार्य करेंगे.

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