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तांत्रिक की शरण में सदर अस्पताल

गड़बड़ी. कुत्ता काटने के बाद अस्पताल पहुंचे परिजनों ने तांत्रिक से करवाया इलाज बेलवाड़ा पुनर्वास निवासी भूषण पंडीत कुछ दिन पूर्व कुत्ता ने काट लिया था. सोमवार को सदर अस्पताल के मुख्य द्वार पर तांत्रिक इलाज करते नजर आये. इससे पूर्व सीएस का तांित्रक से आशीर्वाद लेते हुए फोटो सोशल साइटस पर वायरल हो गया […]

गड़बड़ी. कुत्ता काटने के बाद अस्पताल पहुंचे परिजनों ने तांत्रिक से करवाया इलाज

बेलवाड़ा पुनर्वास निवासी भूषण पंडीत कुछ दिन पूर्व कुत्ता ने काट लिया था. सोमवार को सदर अस्पताल के मुख्य द्वार पर तांत्रिक इलाज करते नजर आये. इससे पूर्व सीएस का तांित्रक से आशीर्वाद लेते हुए फोटो सोशल साइटस पर वायरल हो गया था.
सहरसा : कोसी का प्रमंडलीय अस्पताल कहे जाने वाले सदर अस्पताल इन दिनों तांत्रिक की गिरफ्त में है. स्वास्थ्य महकमा के मालिक सिविल सर्जन को तांत्रिक से आर्शीवाद लेने का फोटो कुछ दिन पूर्व सोसल साइटस पर वायरल हुआ था, जिसे लोग अभी भुल भी नहीं पाये थे कि सोमवार को सदर अस्पताल के मुख्य द्वार पर बेलवाड़ा पुर्नवास निवासी भूषण पंडीत जिसे कुछ दिन पूर्व कुत्ता ने काट लिया था का इलाज तांत्रिक बेझिझक करते नजर आये.
कोसी का प्रमंडलीय अस्पताल कहे जाने वाले सदर अस्पताल में मरीज व परिजनों को दुख दर्द दूर करने के लिए अंधविश्वास के चक्कर में आने के बाद विभाग की प्रमाणिकता पर सवाल उठना शुरू हो गया है. सोमवार के 12 बजे मुख्य द्वार पर तांत्रिक की शरण में मरीज का नजारा शासन व प्रशासन को सरकारी अस्पताल की सच्चाई से रुबरु कराने के लिए काफी है. पहले सीएस कार्यालय परिसर में सीएस डॉ अशोक कुमार सिंह की एक तांत्रिक से आशीर्वाद लेते तसवीर सोशल मीडिया व व्हाटसएप पर वायरल होने व कुछ दिन बाद मरीज को तांत्रिक के शरण में देखने के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. वैज्ञानिक युग में खुलेआम अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले नजारा देख लोग हत्तप्रभ है. तांत्रिक को इलाज करते देख लोगो की काफी भीड़ जमा हो गयी. लोगो की भीड़ जमा होने के बाद सुरक्षा में तैनात जवानों ने लोगो की भीड़ को हटाया. जिसके बाद तांत्रिक इमरजेंसी के पास बैठ मरीज पर अपनी तंत्र विद्या से इलाज जारी रखा. परिजनों ने बताया कि दो माह पूर्व कुत्ता काट लिया था. दो दिन पहले कुत्ता मर गया, जिसके बाद भूषण अजीब हड़कत करने लगा. लोगो ने सदर अस्पताल जाने को कहा, लेकिन डॉक्टरों ने कोई इलाज नही होने की बात कह वापस कर दिया. जिसके बाद कई तरह की चर्चा शुरू हो गयी. कोई अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों का मरीजों का समुचित देखभाल नही करने को दोषी ठहरा रहा था तो कोई अस्पताल में दवा नही मिलने की चर्चा कर रहा था. लोगो ने कहा कि अमीर लोग इलाज के लिए नर्सिंग होम का रुख करते हैं, जबकि गरीबों की पहली व आखिरी उम्मीद जिले का सरकारी अस्पताल ही होता है. बाबजूद अस्पताल में लापरवाही बरती जाती है. लोगो ने आक्रोश व्यक्त करते कहा कि यदि अस्पताल की व्यवस्था को सुढ़‍्ढ कर लिया जाय तो लोगो को तांत्रिक के चक्कर में नही पड़ना पड़ेगा.
अभी बैठक में हूं, बाद में बात करते हैं.
डॉ अनिल कुमार, उपाधीक्षक

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