भारत ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र में बलूचिस्तान का मुद्दा उठाते हुए पाकिस्तान पर वहां मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया है.
पीटीआई के अनुसार जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सम्मेलन में भारत ने बलूचिस्तान के साथ-साथ पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर का मुद्दा भी उठाया.
जेनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि अजित कुमार ने आरोप लगाया कि कश्मीर में अशांति की वजह पाकिस्तान प्रायोजित सीमापार आतंकवाद है.
हालांकि पाकिस्तान इन आरोपों को लगातार ख़ारिज करते हुए हमेशा से यह कहता आया है कि वो कश्मीरियों को केवल कूटनीतिक और नैतिक समर्थन देता है.
अजित कुमार ने कहा, "पाकिस्तान का ख़राब ट्रैक रिकॉर्ड सबको पता है. कई देशों ने पाकिस्तान से सीमापार आंतकवाद को बढ़ावा देना बंद करने, आतंकवाद के ढांचे को ध्वस्त करने और आतंकवाद के केंद्र के रूप में काम करना बंद करने को कहा है."
भारतीय राजदूत ने कहा कि भारत की पहचान एक शांतिप्रिय, लोकतांत्रिक, बाहुलतावादी समाज की है, जो कि अपने नागरिकों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है.
साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान की पहचान निरंकुश, लोकतांत्रिक मूल्यों की कमी और बलूचिस्तान के साथ-साथ देशभर में मानवाधिकारों का बड़े पैमाने पर हनन करने वाले देश के रूप में है.