केंद्र की ढाई साल पुरानी सरकार ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है. जनता से जो वायदे किये गये थे उसका एक प्रतिशत भी पूरा नहीं हुआ. पूर्ववर्ती सरकार द्वारा िकये कामों का पोस्टमॉर्टम हो रहा है. पूर्व में िकये गये कामों का नाम बदल कर अपनी छाप छोड़ने का प्रयास हो रहा है. निजीकरण की बाढ़ आनेवाली है. ढाई साल और जाने दीजिये, कम-से-कम 50 प्रतिशत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम निजी हाथों में जानेवाले हैं. उसमें एक है रेलवे. जिस तरह से टिकट का दाम बढ़ाया जा रहा है उससे रेलवे का भला नहीं होनेवाला.
शताब्दी, दुरंतो एवं राजधानी में जो फ्लेक्सी दर लागू किया गया है वह रेलवे के लिए नहीं, निजी क्षेत्र की विमानन कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है. कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार की भी यही सोच थी, मगर वह चुपके से इसे अंजाम देती थी. वर्तमान सरकार घमंड में चूर है और दिन के उजाले में कॉरपोरेट जगत को फायदा पहुंचाने में लगी है.
जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी