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…छिल के रह गया तेरा फूल-सा बदन मुसलिम

ससीरे हुसैन जनाबे मुसलिम इबने अकील की शहादत पर मजलिस मुजफ्फरपुर : ससीरे हुसैन जनाबे मुसलिम इबने अकील की शहादत पर रविवार को कई इमामबाड़ों में मजलिस का आयोजन किया गया. मौके पर हसन चक बंगरा इमामबाड़ा में शिया समुदाय के लोगों ने मजलिस में शरीक होकर जनाबे मुसलिम इबने अकील की शहादत पर गम […]

ससीरे हुसैन जनाबे मुसलिम इबने अकील की शहादत पर मजलिस

मुजफ्फरपुर : ससीरे हुसैन जनाबे मुसलिम इबने अकील की शहादत पर रविवार को कई इमामबाड़ों में मजलिस का आयोजन किया गया. मौके पर हसन चक बंगरा इमामबाड़ा में शिया समुदाय के लोगों ने मजलिस में शरीक होकर जनाबे मुसलिम इबने अकील की शहादत पर गम मनाया.

मौलाना अली इमाम नकवी ने कहा कि यजीद के जुल्म से तंग आकर कुशा वालों ने इमामे हुसैन को खत लिख कर उन्हें आज कुशा बुलाया. उन लोगों ने कहा था कि आप यहां आ जाये, हम आपकी मदद करेंगे. इमामे हुसैन ने अपने चचेरे भाई जानाब मुसलिम अबने अकील को दूत बना कर कुशा भेजा. पहले वहां के लोगों ने कहा था कि हम आपके साथ हैं. लेकिन कुशा के गवर्नर ने उन लोगों को सोने के सिक्के का लालच देकर मिला लिया. उस वक्त एक औरत ने इनको सहारा दिया. लेकिन उसका बेटा सिक्के की लालच में कुशा के गर्वनर को खबर कर दी.

उसने फौज भेज कर जनाबे मुसलिम को गिरफ्तार कर हत्या कर दी. खिताब के बाद अंजुमने हाशमियो की ओर से नोहाखानी की गयी. अब्बास यावर ने हाय बेवतन मुसलिम हाय बेकसम मुसलिम, लाश तेरी गलियों में जालिमों ने खिंचवाई, छिल के रह गया तेरा फूल-सा बदन मुसलिम सुना कर लोगों की आंखें नम कर दी. उसके बाद ताबूत का मातम निकाला गया. उधर कमरा मुहल्ला स्थित अंजुमने हुसैनिया की ओर से मजलिस व ताबूत मातम का आयोजन किया गया. इसके अलावा ब्रह्मपुरा, कोल्हुआ व भिखनपुर में मजलिस आयोजित की गयी.

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