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जेसीकॉन 2016. डॉक्टर-मरीजों में बने बेहतर रिश्ता

धनबाद: एसोसिएशन ऑफ सर्जंस ऑफ इंडिया (झारखंड चैप्टर) के तीन दिवसीय कांफ्रेंस जेसीकॉन 2016 के दूसरे दिन शनिवार को साइंटिफिक सेशन हुआ. दिन में देश के विभिन्न हिस्सों से आये 16 चिकित्सकों ने प्रेजेंटेशन दिये. शाम में कार्यक्रम का उद्घाटन सांसद पीएम सिंह व बीसीसीएल के डीपी वीके पंडा ने किया. सांसद श्री सिंह ने […]

धनबाद: एसोसिएशन ऑफ सर्जंस ऑफ इंडिया (झारखंड चैप्टर) के तीन दिवसीय कांफ्रेंस जेसीकॉन 2016 के दूसरे दिन शनिवार को साइंटिफिक सेशन हुआ. दिन में देश के विभिन्न हिस्सों से आये 16 चिकित्सकों ने प्रेजेंटेशन दिये. शाम में कार्यक्रम का उद्घाटन सांसद पीएम सिंह व बीसीसीएल के डीपी वीके पंडा ने किया. सांसद श्री सिंह ने धनबाद में हो रहे इस कार्यक्रम की सराहना की. कहा कि धनबाद में नेशनल कांफ्रेंस होना गर्व की बात है.
कांफ्रेंस से धनबाद के चिकित्सकों को लाभ मिलेगा. आशा जतायी कि मरीजों को अच्छी सेवा मिलेगी. उन्होंने डॉक्टर व मरीजों के बीच बेहतर संबंध पर जोर दिया. डीपी श्री पंडा ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम से डॉक्टरों को नयी-नयी तकनीक को जानने का मौका मिलता है. कार्यक्रम पीएमसीएच के ऑडिटोरियम में हो रहा है. कांफ्रेंस का आयोजन धनबाद चैप्टर कर रहा है. देर शाम गवर्निंग बॉडी की मीटिंग आयोजित की गयी. इसके बाद रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
सफल बनाने में जुटे : आयोजन समिति के मुख्य संरक्षक डॉ जोगिंदर सिंह, चेयर मैन डॉ डीपी भदानी, डॉ एमपी झा, डॉ अनूप शर्मा, सचिव डॉ अनिल कुमार, डॉ समीर कुमार, डॉ विभाष सहाय, डॉ बीके पुरोहित, डॉ के विश्वास आदि. रविवार को अंतिम दिन कंपीटिशन पेपर व पीजी पेपर के साथ विदाई कार्यक्रम होगा.
सर्जरी से मधुमेह पर नियंत्रण : डॉ टांटिया
कोलकाता से आये प्रसिद्ध सर्जन डॉ ओम टांटिया ने कहा कि खाने की थैली की सर्जरी कर मधुमेह को काफी नियंत्रित किया जा सकता है. इसके लिए थैली को छोटा किया जाता है. छोटी आंत को इससे जोड़ देते हैं. आंत का शुरू का हिस्सा बाइपास होने लगता है और इस तरह से मधुमेह कंट्रोल में हो जाती है. हाइट व वेट (बीएमआइ)को देखकर सर्जरी की जाती है. 30 किलो बीएमआइ व 18 से ऊपर व 70 के नीचे उम्र वाले की सर्जरी की जाती है. सर्जरी के बाद 80 प्रतिशत मरीजों का मधुमेह कंट्रोल हो जाता है. इसके लिए लगभग दो से ढाई लाख खर्च आते हैं.
सर्जरी से मधुमेह पर नियंत्रण : डॉ टांटिया
कोलकाता से आये प्रसिद्ध सर्जन डॉ ओम टांटिया ने कहा कि खाने की थैली की सर्जरी कर मधुमेह को काफी नियंत्रित किया जा सकता है. इसके लिए थैली को छोटा किया जाता है. छोटी आंत को इससे जोड़ देते हैं. आंत का शुरू का हिस्सा बाइपास होने लगता है और इस तरह से मधुमेह कंट्रोल में हो जाती है. हाइट व वेट (बीएमआइ)को देखकर सर्जरी की जाती है. 30 किलो बीएमआइ व 18 से ऊपर व 70 के नीचे उम्र वाले की सर्जरी की जाती है. सर्जरी के बाद 80 प्रतिशत मरीजों का मधुमेह कंट्रोल हो जाता है. इसके लिए लगभग दो से ढाई लाख खर्च आते हैं.

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