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#shahabuddin : 19 साल की उम्र में दर्ज हुआ था पहला मुकदमा

बिहार की राजनीति में दशकों तक सुर्खियां बटोरने वाले शहाबुद्दीन 11 साल बाद जमानत पर जेल से रिहा हुए हैं. इस रिहाई के साथ बिहार की राजनीति में कयासों का दौर एक बार फिर शुरू हो गया है. लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि शहाबुद्दीन 11 साल जेल में रहे हैं और इस […]

बिहार की राजनीति में दशकों तक सुर्खियां बटोरने वाले शहाबुद्दीन 11 साल बाद जमानत पर जेल से रिहा हुए हैं. इस रिहाई के साथ बिहार की राजनीति में कयासों का दौर एक बार फिर शुरू हो गया है. लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि शहाबुद्दीन 11 साल जेल में रहे हैं और इस बीच बिहार की राजनीति अौर परिस्थितियां काफी बदल चुकी हैं. बदली हुई परिस्थितियों में बाहुबली शहाबुद्दीन कितना प्रासंगिक हो पायेंगे यह आने वाला वक्त तय करेगा.बहरहाल शहाबुद्दीन ने लालू को अपना नेता बताया है लेकिन सवाल यह है कि क्या लंबे समय तक सत्ता से दूर रहने के बाद वापसी करने वाले राजद सुप्रीमों लालू यादव अब शहाबुद्दीन से नजदीकियां रखना चाहेंगे ?

चार बार के सांसद और दो बार के विधायक शहाबुद्दीन के राजनीतिक सफर की शुरुआत राजद के यूथ विंग से हुई थी. बतौर राजनेता जब शहाबुद्दीन करियर की शुरूआत कर रहे थे उन दिनों सीवान में सीपीआई माले का बोलबाला था. 1990 और 1995 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद शहाबुद्दीन ने 1996 में लोकसभा चुनाव जीता .

शहाबुद्दीन बेहद कम उम्र में चुनाव जीत कर आये थे. लगातार चुनावों में मिल रही जीत और सत्ताधारी पार्टी का संयोग दोनों परिस्थितियां शहाबुद्दीन के पक्ष में गयी. बिहार की सियासत पर कड़ी निगाह रखने वाले बताते हैं कि बिहार की राजनीति में एक वक्त ऐसा भी आया जब शहाबुद्दीन सरकारी विभागों और पुलिसकर्मियों के साथ बेहद खराब ढंग से पेश आने लगे.बिहार की राजनीति में यह वह दौर था जब अपराध और राजनीति के मिश्रण का पर्याय बन चुके शहाबुद्दीन को दबंग नेता रोल मॉडल के रूप में देखने लगे.
शहाबुद्दीन जब 19 साल के थे तो उनपर पहला मुकदमा दायर हुआ, लेकिन एक घटना के बाद से शहाबुद्दीन की गिनती दंबग विधायकों में होने लगी. मार्च 2001 को पुलिस राजद के एक नेता मनोज कुमार को गिरफ्तार करने आयी. शहाबुद्दीन ने पुलिस अधिकारी को थप्पड़ जड़ दिया वहीं शहाबुद्दीन के आदमियों ने पुलिसकर्मियों को पीटा. इस घटना के बाद शहाबुद्दीन की गिनती राज्य के बाहुबली नेताओं में की जाने लगी.
इस घटना के बाद, शहाबुद्दीन पर एक के बाद एक अापराधिक घटनाओं का आरोप लगा. साल 2003 में सीपाआई -माले के कार्यकर्ता मुन्ना चौधरी की हत्या और अपहरण का आरोप लगा. एक साल बाद शहाबुद्दीन पर गिरिश राज और सतीश राज की हत्या का आरोप लगा. 2006 में शहाबुद्दीन पर जेल में अवैध रूप से मोबाइल रखने का आरोप लगा.

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