सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट के अधीन भक्तिनगर थाना में दर्ज मामले की सुनवाई सिलीगुड़ी कोर्ट में हो या जलपाईगुड़ी कोर्ट में, इसको लेकर एक बार फिर से खींचतान शुरू हो गई है. जलपाईगुड़ी के लोग खासकर वकील जहां भक्तिनगर थाने को जलपाईगुड़ी जिले से अलग नहीं होने देना चाहते, वहीं सिलीगुड़ी को अलग जिला बनाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे वृहतर सिलीगुड़ी नागरिक मंच ने एक बार फिर से भक्तिनगर थाने पर अपना दावा ठोक दिया है.
इस बीच, जलपाईगुड़ी के वकीलों ने भक्तिनगर थाने को जलपाईगुड़ी जिले से अलग नहीं करने को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में एक मामला दायर किया है. हाईकोर्ट ने इस मामले को सुनवाई के लिए ग्रहण कर लिया है.
उसके बाद से ही भक्तिनगर थाने को लेकर सिलीगुड़ी और जलपाईगुड़ी के बीच एक बार फिर से खींचतान शुरू हो गई है. यहां उल्लेखनीय है कि राज्य में ममता बनर्जी की सरकार बनने के बाद वर्ष 2013 में सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट का गठन किया गया और इसमें भक्तिनगर थाने को भी शामिल कर लिया गया. जबकि इस थाने में दर्ज मामले की सुनवाई जलपाईगुड़ी कोर्ट में ही हो रही है. वकीलों का कहना है कि अगर थाने में दर्ज मामले की सुनवाई जलपाईगुड़ी में होगी तो भला थाने को सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट में कैसे शामिल किया जा सकता है. जलपाईगुड़ी के वकील भक्तिनगर थाने को पूरी तरह से जलपाईगुड़ी जिला पुलिस के अधीन करने के पक्ष में हैं. इसी को लेकर जलपाईगुड़ी के वकील गौतम पाल एवं सुदीप्त कांत भौमिक ने वर्ष 2014 में कलकत्ता हाईकोर्ट में एक मामला दायर किया था. अदालत ने अब जाकर सुनवाई के लिए उस मामले को ग्रहण कर लिया है. वकील सुदीप्त कांत भौमिक ने कहा है कि दार्जिलिंग तथा जलपाईगुड़ी दो जिलों को लेकर पुलिस कमिश्नरेट का गठन नहीं हो सकता. यह पूरी तरह से अवैध और गैर कानूनी है. हाईकोर्ट के जज पंकज दत्त के अदालत में यह मामला पहुंचा. जज श्री दत्त ने कहा है कि यह मामला सुनवाई के योग्य है.
उन्होंने राज्य सरकार से इस मामले को लेकर जवाब तलब किया है. चार सप्ताह बाद फिर से इस मामले की सुनवाई होगी. इधर, वृहतर सिलीगुड़ी नागरिक मंच ने जलपाईगुड़ी के वकीलों के इस पहल की निंदा की है. संगठन के उपाध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने कहा है कि हाईकोर्ट को सिलीगुड़ी के लोगों की सुविधा-असुविधाओं का ध्यान रखना होगा. भक्तिनगर थाना सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट में है और यहां दर्ज मामले की सुनवाई थाने से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलीगुड़ी कोर्ट में न होकर 40 किलोमीटर दूर जलपाईगुड़ी कोर्ट में होती है. सिलीगुड़ी के लोग इसे मानने को तैयार नहीं हैं. हाईकोर्ट को इन पहलुओं पर भी विचार करना होगा. श्री चटर्जी ने आगे कहा कि इन्हीं समस्याओं को लेकर वह लोग सिलीगुड़ी को अलग से जिला बनाने की मांग करते रहे हैं.