बिहारशरीफ : जिला प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था के बीच गुरुवार को उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का नालंदा भ्रमण सफलतापूर्वक संपन्न हो गया. एक पक्ष के अंदर राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के नालंदा दौरे के अतिसंवेदनशील कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में डीएम डॉ. त्याग राजन एसएम व एसपी कुमार आशीष की अहम भूमिका रही. उपराष्ट्रपति के आगमन को लेकर सुबह से ही बिहारशरीफ से राजगीर तक का मुख्य सड़क पूरी तरह सुरक्षा के घेरे में रहा.
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ढाई हजार पुलिसकर्मी व दंडाधिकारी रहे तैनात
बिहारशरीफ : जिला प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था के बीच गुरुवार को उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का नालंदा भ्रमण सफलतापूर्वक संपन्न हो गया. एक पक्ष के अंदर राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के नालंदा दौरे के अतिसंवेदनशील कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में डीएम डॉ. त्याग राजन एसएम व एसपी कुमार आशीष की अहम भूमिका रही. उपराष्ट्रपति के आगमन […]
कारगिल चौक, नालंदा मोड़, सिलाव बाजार सहित राजगीर तक की सड़क पर सभी चिन्हित स्थानों पर पुलिस कर्मियों की तैनाती की गयी थी. नालंदा मोड़, सिलाव बाजार सहित रास्ते में पड़ने वाले सभी गांवों के पास बैरिकेटिंग की व्यवस्था की गयी थी. दोपहर बाद राजगीर की ओर जाने वाले आम वाहनों के परिचालन पर रोक लगा दी गयी थी. वहीं सिलाव बाजार की मशहूर खाजा दुकानों को भी सुरक्षा मद्देनजर बंद करवा दिया गया था.
राजगीर में किला मैदान व मुख्य कार्यक्रम स्थल तक आम वाहनों का परिचालन ठप कर चप्पे-चप्पे पर दंडाधिकारी व पुलिस कर्मियों की तैनाती की गयी. राजगीर बस स्टैंड से आम वाहनों को बाजार की ओर से तथा मखदुम कुंड के रास्ते कुंड की ओर जाने की इजाजत दी गयी थी. कार्यक्रम स्थल तक जाने वाले मार्ग पर स्थित सभी निजी व सरकारी भवनों पर सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया था.
आगमन के पूर्व सील किया गया मुख्य मार्ग
उपराष्ट्रपति के आगमन के करीब एक घंटा पूर्व ही किला मैदान में इंटरनेशनल कन्वेंशन हॉल तक के मार्ग को सील कर दिया गया था. उपराष्ट्रपति वायुसेना के हेलीकॉप्टर से दोपहर बाद 2:40 बजे राजगीर किला मैदान में उतरे. वहां से 70 वाहनों के काफिले के साथ उन्हें कार्यक्रम स्थल तक लाया गया. राजगीर व नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष के भ्रमण के दौरान भारी संख्या में स्थानीय लोग उपराष्ट्रपति की एक झलक पाने के लिए काफी मशक्कत करने नजर आये.
उपराष्ट्रपति ने दिये छात्रों के सवालों के जवाब
भारत में प्राथमिक शिक्षा के सामने क्या-क्या कठिनाई है?
अविनाश कुमार, छात्र इकोलॉजी विभाग
जवाब – आज हमारे यहां प्राथमिक शिक्षा की बहुत सारी चुनौतियां है. इन चुनौतियों को हम हल कर सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि हमारे समाज में सामुदायिक सोच विकसित हो. इससे प्राथमिक शिक्षा व अन्य शिक्षा का विकास हो सकता है. इसके लिए यह भी जरूरी है कि हम एक-दूसरे से जुड़े, एक दूसरे को समझें और अपने आप को शिक्षित करें. देश -दुनिया के साथ सहभागी बनें.
À तेजी से हो रहे वैश्वीकरण में एक देश किस प्रकार सरवाइब कर सकता है, उसका पर्यावरण किस तरह सुरक्षित रह सकता है?
– गौरव कुमार, छात्र, इकोलॉजी
जवाब – वैश्वीकरण और विकास से नि:संदेह पर्यावरण को अपूरणीय क्षति हो रही है. आज जो हालात बने हैं उसमें पूरी दुनिया एक गांव की तरह है. इसमें सहभागी बन कर एक-दूसरे के दुख-दर्द को दूर करना चाहिए.
क्या यह संभव है कि हम बिना किसी सीमा के एक देश के रूप में रहे?
– के.के. सिंह, छात्र
जवाब – एक युग था जब पूरी दुनिया सीमामुक्त थी. यही कारण है कि चीन व दुनिया के दूसरे देशों से छात्र व व्यवसायी यहां व दूसरे जगहों पर भी गये. आज यह संभव नहीं है.
क्या भारत वैश्विक लीडरशिप की ओर बढ़ रहा है?
जवाब – किसी भी देश के विकास का पैमाना स्वास्थ्य, पर्यावरण और वहां की शिक्षा हो सकती है. हमारा बजट देख लीजिए और तय कीजिए कि किस विभाग के लिए कितना खर्च किया जा रहा है. हमने एक हद तक स्कूली बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने का प्रयत्न किया है. विडंबना यह है कि हमारे शिक्षक इन बच्चों को शिक्षा देने के काबिल नहीं हैं. भारत सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार 25 फीसदी सरकारी स्कूलों में शिक्षक अनुपस्थित रहते हैं. इसका समाधान यह है कि हरेक व्यक्ति अपने कंधे पर जिम्मेवारी ले. दूसरों पर अपनी जिम्मेवारी न थोपे. जहां तक स्वास्थ्य का प्रश्न है, तो यह समझ लीजिए कि इस क्षेत्र में हम बहुत ही पिछड़े हैं और हमें इन क्षेत्रों में विकास की आवश्यकता है.
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