कानपुर : देश में अरहर दाल की इस बार भरपूर पैदावार होने का दावा करते हुये केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने आज कहा कि जो जमाखोर अरहर की दाल इस लालच में जमा किये रखे है कि एक बार फिर अरहर के दाम बढेंगे वह इस मुगालते में न रहें और अपनी दाल बाजार में निकाल दें, क्योंकि फसल अच्छी होने के कारण इस बार उन्हें कुछ मिलने मिलने वाला नहीं है. उन्होंने पिछली बार अरहर समेत अन्य दालों के दाम बढने का मुख्य कारण जमाखोरी बताया और इसके लिये राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों ने दाल की जमाखोरी करने वालो के खिलाफ कठोर कार्रवाई नही की.
केंद्रीय उपभोक्ता मामलो के मंत्री पासवान आज कानपुर के शुगर इंस्टीटयूट के दीक्षांत समारोह में शामिल होने आये थे. बाद में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि एक समय था जब अरहर की दाल के दाम 200 रुपये किलो तक पहुंच गये थे अब 100 रुपये तक आ गये है. दाल के दाम बढने का मुख्य कारण जमाखोरी थी, हमारे बार बार कहने के बावजूद राज्य सरकारों ने जमाखोरी के खिलाफ कठोर कार्रवाई नही की नतीजतन जनता को महंगी दाल खरीदनी पडी.
उन्होंने कहा कि हम राज्य सरकारों को अरहर की दाल 66 रुपये किलो और उडद की दाल 83 रुपये प्रति किलो देने को तैयार है, हमारे पास दाल का भंडार है जो राज्य सरकारें चाहे केंद्र से दाल खरीद सकती है. एक सवाल के जवाब में पासवान ने कहा कि देश में आलू, गेंहू, चावल, आलू, प्याज, चीनी, टमाटर किसी चीज की कमी नहीं है. लेकिन देश के सभी किसानों को उनकी फसलों का सही और समान मूल्य पूरे देश में नही मिल पाता है. इसका कारण पूरे देश में एपीएमसी एक्ट (एग्रीकल्चर प्रोडयूस मार्केट कमेटी) का एक समान स्तर पर लागू न होना है.
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