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बिहार में बाढ़ रोकनी है तो करना होगा स्थायी समाधान

सांसद निशिकांत दुबे ने प्रधानमंत्री को लिखा लिखा पत्र, कहा-बने गंगा बेसिन जल उपयोग नीति भागलपुर : बिहार को बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए दीर्घकालिक योजना बनाने की जरूरत है. तभी गंगा और इसकी सहायक नदियों के प्रकोप से होनेवाली भारी जन-धन की हानि रोकी जा सकेगी. भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इस […]

सांसद निशिकांत दुबे ने प्रधानमंत्री को लिखा लिखा पत्र, कहा-बने गंगा बेसिन जल उपयोग नीति

भागलपुर : बिहार को बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए दीर्घकालिक योजना बनाने की जरूरत है. तभी गंगा और इसकी सहायक नदियों के प्रकोप से होनेवाली भारी जन-धन की हानि रोकी जा सकेगी. भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छह पेज का एक लंबा पत्र लिख कर बाढ़ से मुक्ति के लिए दीर्घकालिक योजना बनाने के लिए कई सुझाव दिये हैं. प्रभात खबर से एक बातचीत में गोड्डा सांसद ने कहा कि मैं
खुद बाढ़ प्रभावित क्षेत्र (गंगा के किनारे बसे भवानीपुर, कहलगांव) का निवासी हूं. मैं वर्षों से देखता आ रहा हूं कि कैसे हर साल तीन-चार महीने पानी के बीच घिरे रहने को लोग विवश हो जाते हैं. बाढ़ से लोग बरबाद हो जाते हैं. सांसद ने पत्र में कहा है कि बाढ़ की समस्या का स्थायी समाधान होना चाहिए. थोड़ी-सी राहत सामग्री और मुआवजा दे देना बाढ़ पीड़ितों की समस्या का समाधान नहीं है. इसके लिए तुरंत `
गंगा बेसिन जल उपयोग नीति`बनायी जाए. तभी लोगों को बाढ़ से मुक्ति दिलायी जा सकेगी.
अतिरिक्त जल का हो सदुपयोग. हर वर्ष बाढ़ और तबाही को ध्यान में रखते हुए बचाव के लिए तटबंधों के निर्माण के साथ गंगा और उसकी सहायक नदियों के जल का सिंचाई, पेय जल और पन बिजली परियोजनाअों में इस्तेमाल की ठोस योजना बने. नीति आयोग के साथ मिल कृषि, पर्यावरण,
वन, ऊर्जा व ग्रामीण विकास मंत्रालयों से विचार-विमर्श कर गंगा बेसिन जल उपयोग की नीति बने, जिस पर अनिवार्य रूप से अमल हो. अभी हर साल औसतन गंगा बेसिन से करीब 625 बिलियन क्यूबिक मीटर जल का निस्तारण होता है, जिसमें 260 बिलियन क्यूबिक मीटर जल का उपयोग अलग-अलग कार्यों में किया जा सकता है.
राज्यों के पास संसाधन नहीं
सांसद ने पत्र में पर चिंता भी जतायी है कि अभी बिहार जैसे राज्यों के पास ऐसा डाटा ही नहीं है जिससे यह पता लगाया जा सके कि वो अपने राज्यों में गंगा बेसिन से बहने वाले जल का सिंचाई, पेय व जल विद्युत उत्पादन में कितना उपयोग कर रहे हैं. यह जरूरी है कि गंगा बेसिन से प्रत्येक वर्ष उपलब्ध जल का सही इस्तेमाल हो और इसका आंकड़ा राज्य व केंद्र सरकार के पास रहे.
बाढ़ नियंत्रण के लिए हो कोष
सांसद दुबे ने कहा है कि बिहार, झारखंड और यूपी में बाढ़ की विभीषिका से मुक्ति के लिए जल संचयन-भंडारण की योजना का कार्यान्वयन करने की भी पहल हो. बाढ़ नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार अपनी कुल योजना राशि का कम से कम दो प्रतिशत धन उपलब्ध कराये. इसके साथ ही 250 करोड़ रुपये का आपातकालीन कोष भी बने,
जिसे अतिआवश्यक बाढ़ नियंत्रण कार्य कार्य के लिए केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय को उपलब्ध कराया जाए. बाढ़ नियंत्रण योजना को बड़े पैमाने पर चलाने के लिए केंद्र बाढ़ प्रभावित राज्यों में नयी आधारभूत सरंचनाएं जैसे सड़क, भवन निर्माण और बिजली उत्पादन पर एक प्रतिशत सेस लगा कर बाढ़ नियंत्रण कार्यक्रमों पर होनेवाले खर्च की भरपायी भी कर सकती है.

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