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बिहार, यूपी भेजा जा रहा झारखंड का बालू

रांची : झारखंड के बालू की तस्करी अभी भी बिहार, उत्तर प्रदेश और बंगाल के कई इलाकों में की जा रही है. पिछले कई वर्षों से यह धंधा चल रहा है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस पर चिंता भी जतायी है. उन्होंने संबंधित जिलों के एसपी को हिदायत भी दी है कि यदि बालू दूसरे […]

रांची : झारखंड के बालू की तस्करी अभी भी बिहार, उत्तर प्रदेश और बंगाल के कई इलाकों में की जा रही है. पिछले कई वर्षों से यह धंधा चल रहा है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस पर चिंता भी जतायी है. उन्होंने संबंधित जिलों के एसपी को हिदायत भी दी है कि यदि बालू दूसरे राज्यों में जाता है, तो इसके लिए वे जिम्मेदार होंगे. कार्रवाई तक करने की बात कही है.
देवघर से प्रतिदिन करीब 100 ट्रक जा रहा बिहार : संताल-परगना के देवघर जिले में 14 बालू घाट हैं. गोड्डा में 50 और साहेबगंज में 14 बालू घाट हैं. इन बालू घाटों से अभी भी प्रतिदिन 200 से 300 ट्रक व हाइवा के जरिये बालू पटना, किशनगंज, भागलपुर, दरभंगा तक भेजे जा रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि देवघर के देवीपुर बालू घाट से ही प्रतिदिन 50 से सौ ट्रक बिहार जाते हैं. यह इस इलाके का सबसे बड़ा बालू घाट है. यहां बुढ़ई मंदिर के पास हर दिन 150 से 200 हाइवा लगे रहते हैं. अजय नदी से भी बालू का उठाव होता है, जबकि देवघर में बालू की अधिक खपत नहीं है. देवघर में एक ट्रक बालू की कीमत 1500 रुपये है. जबकि यह बिहार में चार से पांच हजार रुपये प्रति ट्रक की दर से बेचे जा रहे हैं
गढ़वा में 49 घाटों में हुई है 28 की नीलामी : गढ़वा जिले के सबसे महंगे बालू घाटों में खरौंधी प्रखंड का खोखा सोन नदी घाट है. यहां का बालू बनारस व लखनऊ तक ले जाया जा रहा है़ पूरे जिले में 49 बालू घाट है़ं अभी तक 28 बालू घाटों की ही नीलामी हो सकी है़ इनमें से भी मुश्किल से एक दर्जन को ही पर्यावरण की स्वीकृति मिल सकी है़ हालांकि अभी बारिश के कारण सभी नदियों में पानी भर गया है, जिससे बड़े पैमाने पर बालू की निकासी नहीं हो पा रही है़ फिलहाल सिर्फ दानरो नदी से प्रतिदिन करीब 150 ट्रक बालू का उठाव हो रहा है.
बदल गया तरीका
ठेकेदार अधिक मुनाफे के चक्कर में बालू राज्य से बाहर भेज रहे हैं. करीब चार-पांच वर्ष पूर्व देवघर से बालू के रैक दरभंगा तक भेजे जाते थे. पर हंगामा होने और पीआइएल की वजह से यह रुक गया. बालू की तस्करी के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटानेवाले सामाजिक कार्यकर्ता कुमार विनोद बताते हैं कि तस्करी रुकी नहीं है. सिर्फ इतना अंतर आया है कि पहले रैक से बालू भेजे जाते थे, अब ट्रकों व हाइवा से भेजे जा रहे हैं.

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