नयी दिल्ली: जम्मू-कश्मीर जाने के लिए गठित सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सांसदों के लिए आज बातचीत के एक सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें उन्हें कश्मीर के मौजूदा हालात और उनके आगामी दौरे की रूपरेखा की जानकारी दी गयी. प्रतिनिधिमंडल अपने दौरे में कश्मीर में अलग अलग वर्गों के लोगों से बातचीत करेगा. गृह मंत्री राजनाथ सिंह, संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह और कुछ शीर्ष अधिकारियों ने बैठक में प्रस्तुति दी.
बैठक में सांसदों को जम्मू-कश्मीर के मौजूदा जमीनी हालात, विभिन्न हितधारकों, लोगों और समूहों के रूख की जानकारी दी गयी. इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि राज्य में शांति बहाल करने के उद्देश्य को लेकर सभी सांसद एक सुर में बोलें और अलग -अलग वर्ग के लोगों से बात करते समय सांसदों के बीच आपसी सहमति हो. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रतिनिधिमंडल के सदस्य अलगाववादियों सहित किसी से भी मिलने के लिए स्वतंत्र होंगे.
हालांकि गृह मंत्री या कोई अन्य केंद्रीय मंत्री केवल उन्हीं लोगों से मिलेंगे जो संविधान के दायरे में सभी मुद्दों का हल करने के लिए तैयार हों. आठ जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से कश्मीर घाटी में अशांति है.राजनाथ और जितेंद्र के अलावा सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में वित्त मंत्री अरुण जेटली, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे, वरिष्ठ कांग्रेस नेता अंबिका सोनी, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (लोजपा) जदयू नेता शरद यादव, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा नेता डी राजा शामिल हैं.
प्रतिनिधिमंडल में राकांपा के तारिक अनवर, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, शिवसेना के संजय राउत एवं आनंदराव अडसुल, तेदेपा के टी नरसिंह, शिरोमणि अकाली दल के प्रेम सिहं चंदुमाजरा, बीजद के दिलीप टिर्की, एमआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, एआईयूडीएफ के बदरुद्दीन अजमल और मुस्लिम लीग के ई अहमद, टीआरएस के जितेंद्र रेड्डी, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, अन्नाद्रमुक के पी वेणुगोपाल, राजद के जयप्रकाश यादव, द्रमुक के तिरुचि शिवा, वाईएसआर कांग्रेस के वाई बी सुब्बा, आप के धर्मवीर गांधी और रालोद के दुष्यंत चौटाला भी शामिल हैं. बसपा और समाजवादी पार्टी ने भी अपना समर्थन दिया है लेकिन अपना कोई सदस्य नामित नहीं किया है.