हनोई : वियतनाम के शीर्ष नेताओं ने विवादित दक्षिण चीन सागर पर भारत के रुख की आज सराहना की और कम्युनिस्ट राष्ट्र के तेल एवं गैस क्षेत्रों में उससे भागीदारी करने की पेशकश की. उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ के स्तर पर पहुंचाने की भी सराहना की.
सूत्रों ने बताया कि कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव एन. पी. त्रोंग ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपनी मुलाकात के दौरान कहा कि दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर भारत के सिद्धांत पर आधारित रुख की वियतनाम सराहना करता है. उन्होंने मोदी से कहा, ‘‘हम क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंच पर अपने सहयोग को अवश्य तेज करना चाहते हैं.’ उन्होंने दोहराया कि इतिहास भी दर्शाता है कि भारत हमेशा ही वियतनाम का दोस्त रहा है. उन्होंने त्रोंग से कहा, ‘‘ऐसे संबंध दुर्लभ होंगे, जो 2,000 साल पुराने हों.’
उन्होंने 2013 में वियतनामी नेता की भारत यात्रा को याद किया. दक्षिण चीन सागर पर अधिकार को लेकर चीन का फिलीपीन, वियतनाम, ताइवान, मलेशिया और ब्रूनेई के साथ विवाद है. इस जल क्षेत्र से होकर भारत का 50 फीसदी कारोबार होता है. भारत अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों पर आधारित नौवहन की स्वतंत्रता, क्षेत्र के ऊपर विमानों का आवागमन और निर्बाध वाणिज्य का समर्थन करता है जैसा कि संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून कन्वेंशन (यूएनसीएलओएस) में जिक्र है.
भारत का मानना है कि देशों को शांतिपूर्ण तरीकों से विवादों का हल करना चाहिए. इसके लिए धमकी या बल प्रयोग का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और अपनी गतिविधियों में आत्मसंयम का परिचय देना चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि साइबर सुरक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र कार्यबल के गठन से लाभान्वित होंगे और दोनों देशों को भविष्य में समस्याओं को सुलझाने में मदद करेंगे. त्रोंग इस बात पर सहमत थे कि भारत-वियतनाम संबंध वक्त की कसौटी पर खरे उतरे हैं और बहुत टिकाउ हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने 2010 और 2013 में दो बार भारत की यात्रा की तथा दोनों यात्राओं ने बहुत अच्छा प्रभाव छोड़ा है.