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फरियादियों को न्याय के बदले मिल रही है तारीख
बक्सर, कोर्ट. एक तरफ सरकार द्वारा जहां मामलों का तेजी से निष्पादन के लिए नये-नये कानून बनाये जा रहे हैं. वहीं लालफीताशाही में फंस कर कानूनी प्रक्रिया तेज होने की बजाय सुस्त होते जा रही है. बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम का गठन त्वरित गति से लोगों को न्याय दिलाने के लिए किया गया […]
बक्सर, कोर्ट. एक तरफ सरकार द्वारा जहां मामलों का तेजी से निष्पादन के लिए नये-नये कानून बनाये जा रहे हैं. वहीं लालफीताशाही में फंस कर कानूनी प्रक्रिया तेज होने की बजाय सुस्त होते जा रही है.
बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम का गठन त्वरित गति से लोगों को न्याय दिलाने के लिए किया गया था. उसके बाद वर्षों से छोटे मामलों को लेकर अधिकारियों के कार्यालयों में चक्कर लगानेवाले फरियादियों को एक नयी उम्मीद की किरण दिखायी देने लगी. बक्सर समाहरणालय परिसर में उक्त अधिनियम से संबंधित मामलों को निष्पादित करने के लिए न्यायालय बना दिया गया, लेकिन वास्तविकता पहले जैसी दिखने लगी और लोग इस न्यायालय में भी तारीख पे तारीख लेकर फरियादी अपने घर लौटने लगे. शुक्रवार को अपने-अपने फरियादों को लेकर काफी दूर दराज से लोग पहुंचे हुए थे.
लोग निर्देशित समयानुसार 10 बजे दिन में पहुंच गये, लेकिन उनकी सुनवाई कछुए की सुस्त चाल को भी मात देते हुए लगभग शाम को चार बजे शुरू की गयी. फरियादियों में कई तरह के मामले देखने को मिले, जिसमें नियाजीपुर के रहनेवाले अवध बिहारी पाठक का मामला भी शामिल था. उन्होंने बताया कि मुझे डेढ़ वर्षों से राशन-केरोसिन नहीं मिल रहा है. इसको लेकर सात जुलाई को अपना परिवाद दाखिल किया था़ इसके बाद अबतक सिर्फ तारीख ही मिल सकी है. अवध बिहार पाठक की मानें, तो उनको चार बार से सिर्फ तारीख मिल रही है.
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