निकासी. डैम निर्माण मामले में तीन अभियंताओं पर दर्ज है प्राथमिकी
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नहीं हो सकी 29 लाख की वसूली
निकासी. डैम निर्माण मामले में तीन अभियंताओं पर दर्ज है प्राथमिकी राशि के गबन का मामला बोखड़ा बीडीओ की लापरवाही, डीएम नाराज 2012 से ही डीएम ने बीडीओ को पत्र भेजकर दिया जा रहा है आदेश सीतामढ़ी : जिले के बोखड़ा प्रखंड में डैम के निर्माण के नाम पर 29 लाख की निकासी कर ली […]
राशि के गबन का मामला
बोखड़ा बीडीओ की लापरवाही, डीएम नाराज
2012 से ही डीएम ने बीडीओ को पत्र भेजकर दिया जा रहा है आदेश
सीतामढ़ी : जिले के बोखड़ा प्रखंड में डैम के निर्माण के नाम पर 29 लाख की निकासी कर ली गयी थी. डैम नहीं बना और अभियंता पूरी राशि गटक गये थे. उक्त राशि की वसूली अब तक संभव नहीं हो सकी है. इसमें बोखड़ा बीडीओ की लापरवाही सामने आयी है. यानी बीडीओ के स्तर से राशि की वसूली के लिए कोशिश ही नहीं की जा रही है. उनके स्तर से उन्हें बार-बार निर्देश दिया जा रहा है.
नीलाम वाद दायर नहीं : जिला प्रशासन के आदेश पर गबन की बाबत उक्त तीन अभियंताओं के खिलाफ नानपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.
उसके बाद बोखड़ा बीडीओ को राशि की वसूली के लिए नीलाम वाद दायर करने का आदेश दिया गया था, लेकिन बीडीओ डीएम की नहीं सुन रहे है. यह जानकर ताज्जुब होगा कि डीएम द्वारा वर्ष 2012 से ही बीडीओ को लगातार पत्र भेजकर नीलाम वाद दायर करने का आदेश दिया जा रहा है, पर कतिपय कारणों से बीडीओ उक्त आदेश का अनुपालन नहीं करा पा रहे है.
तब प्रपत्र ‘क’ होगा गठित : डीएम राजीव रौशन ने 29 अगस्त को एक बार फिर बोखड़ा बीडीओ को पत्र भेज उनके प्रति कड़ी नाराजगी जतायी है. अब तक नीलामवाद दायर करने से संबंधित कोई जानकारी नहीं दिये जाने पर बीडीओ की उक्त कार्यशैली को डीएम ने लापरवाही के द्योतक बताया है.
साथ ही इस आशय का स्पष्टीकरण पूछा है कि क्यों नहीं उन्हें दोषी मान प्रपत्र ‘क’ में आरोप गठित कर ग्रामीण विकास विभाग को भेज दिया जाए.
क्या है पूरा मामला
बोखड़ा प्रखंड के खड़का व नया टोल गांव के बीच पड़ोरिया चौर में डैम्प का निर्माण होना था. इस कार्य के लिए बड़ी राशि आवंटित की गयी थी. वर्ष 1988-89 में अभियंताओं द्वारा 10 लाख की निकासी की गयी थी. तब जब डैम्प बनाने के लिए एक टोकड़ी भी मिट्टी की खुदाई नहीं करायी गयी थी. इतना से भी संबंधित अभियंताओं का मन नहीं भरा. पुन: वर्ष 1996-97 में अभियंताओं द्वारा 19 लाख की अवैध निकासी कर ली गयी थी.
शिकायत मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा मामले की जांच करायी गयी थी. जांच में ही खुलासा हुआ था कि डैम्प का काम कराये बगैर 29 लाख रुपये की अवैध निकासी कर गबन कर लिया गया है. इस मामले में तत्कालीन कनीय अभियंता क्रमश: मोहन प्रसाद शर्मा, रामविलास प्रसाद व अरुण कुमार का नाम सामने आया था.
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