तबाही का मंजर. हर तरफ पानी, ठहर गया सामान्य जनजीवन
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नवगछिया में जलप्रलय, त्राहिमाम
तबाही का मंजर. हर तरफ पानी, ठहर गया सामान्य जनजीवन नवगछिया में चारों तरफ पानी ही पानी है. जहां भी नजर जाती है, सूखी जमीन नजर नहीं आ रही है. इसके बावजूद लोग प्यासे हैं. बाढ़ में सबसे ज्यादा किल्लत पानी की हो रही है. नवगछिया : ग पानी पीने के लिए एक किलोमीटर से […]
नवगछिया में चारों तरफ पानी ही पानी है. जहां भी नजर जाती है, सूखी जमीन नजर नहीं आ रही है. इसके बावजूद लोग प्यासे हैं. बाढ़ में सबसे ज्यादा किल्लत पानी की हो रही है.
नवगछिया : ग पानी पीने के लिए एक किलोमीटर से दो किलोमीटर पैदल चल रहे हैं फिर भी शुद्ध जल नसीब नहीं हो रहा है. ऐसी स्थिति में लोग डिब्बा बंद पानी पर ही आश्रित हैं. नवगछिया में इन दिनों पानी के बड़े डिब्बे की मांग काफी बढ़ गयी है. पानी के कारोबारी इन दिनों डिमांड की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं तो दूसरी तरफ पानी की कई नई यूनिट नवगछिया में अच्छा कारोबार कर रही है. एक तरफ जहां दूसरे धंधे में मंदी आयी है तो दूसरी तरफ पानी के धंधे में जबरदस्त उछाल आया है. जहानवी चौक पर रह रहे बिनोवा गांव के मुकेश मंडल ने कहा कि यहां से राहत शिविर एक किलोमीेटर दूर है.
उनके मवेशी यहां रहते हैं इस कारण से वे भी चौक पर ही यात्री शेड में रहते हैं सबसे ज्यादा दिक्कत पानी की हो रही है. अंतत: इसका हल उसने खोज निकाला और एक लीटर दूध में उन्हें चौक पर ही एक दुकानदार तीन पानी की बोतल दे रहा है. मुकेश ने कहा कि किसी तरह दिन कट रहा है. आज तक दूध से महंगी पानी नहीं पिया था लेकिन मजबूरी है. इधर विभिन्न राहत शिविरों में पानी की व्यवस्था ठीक ठाक है. लेकिन जो लोग अपने अपने घरों में फंसे हैं वैसे लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है. प्रशासन ने नवगछिया शहर के नया टोला में ही पानी बांटा है. बाढ़ पीडि़तों ने हर जगह पानी वितरण कराने की मांग की है.
नया टोला में बंटा पेयजल: नयाटोला में अपने अपने घरों में रह रहे बाढ़ पीड़ितों के बीच गुरुवार को नवगछिया के एसडीओ राघवेंद्र सिंह और एसडीपीओ मुकुल कुमार रंजन ने पानी का पैकेट वितरित किया.
पांच हजार एकड़ में लगी फसल चौपट : नवगछिया अनुमंडल में करीब पांच हजार एकड़ में लगी फसल पूरी तरह से नष्ट हो गयी है. किसानों ने कहा कि एक तरफ वे लोग बाढ़ से पीड़ित हैं, तो दूसरी तरफ उनकी रोजी रोटी भी छिन गयी है. गोपालपुर, इस्माइलपुर, रंगरा, नवगछिया, खरीक और नारायणपुर प्रखंडों में करीब पांच हजार एकड़ फसल नष्ट हो जाने का आकलन किया जा रहा है. सबसे अधिक क्षति केला किसानों को हुई है.
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