कुरसेला : रेलवे स्टेशन माल गोदाम के बाढ़ विस्थापितों ने पिल्लु वाला भात खाने से इंकार कर दिया. भोजन खाने के बीच कईयों के थाली के भात में पिल्लु मिल गया. पिल्लु मिलने के बात से खाना खा रहे लोग उठ खड़े हुये.
विस्थापितों ने घटिया खाना दिये जाने को लेकर हंगाम खड़ा कर दिया. भात में पिल्लु मिलने की जानकारी से बांकी बाढ़ विस्थापितों ने भोजन करने से इंकार कर दिया. ठोला पर भात दाल सब्जी सारे भोजन को लाद कर बाढ़ विस्थापित प्रखंड कार्यालय अधिकारियों को दिखाने पहुंच गये. यहां भात से पिल्लु निकाल कर दिखाया गया. विस्थापितों ने कहा कि साहब यह पिल्लु वाला भात कैसे ग्रहण करें. यह भोजन आदमी तो क्या जानवर भी नहीं खायेगा. घटिया चावल के साथ छुर पानी का दाल बदत्तर बनी सब्जी खिलायी जाती है. जिसको खाने से अच्छा भुखे मर जाना बेहतर है.
जानकारी के अनुसार स्थानीय अधिकारियों ने तैयार खाना को फेंक दिये जाने की बातें कही. अधिकारियों ने कहा कि अगले सुबह से अच्छे उसना चावल का भोजन की व्यवस्था की जायेगी. आक्रोशित बाढ़ विस्थापितों ने कहा कि भात में पिल्लु वाले सारे खाने को फेंक देंगे. विस्थापित महिला प्रमिला, संनोखी देवी, कलिया, डोमिया देवी, पुनम देवी, उत्तम कुमार ने कहा कि अरवा चावल के भात में खत-खत पिल्लु है. जिसे देखकर उबाई आने लगती है. दाल सब्जी काफी घटिया खिलायी जाती है. बाढ़ विस्थापितों का यह भोजन पुरानी बाजार के एक स्कुल से बन कर आता है. इस भोजन को तकरीबन दो हजार विस्थापित ग्रहण करते आ रहे हैं. पहले का उसना चावल का दिया जाने वाला खाना ठीक ठाक था. गुजरते दिन के साथ खाना का स्तर गिरता जा रहा है. अरवा चावल के भात में पिल्लु मिलने की बात गुरूवार रात के खाने में सामने आयी थी. जिसे शुक्रवार के भोजन में सही पाया गया.
भोजन ग्रहण मतलब कीड़ा खाना
बाढ़ विस्थापितों ने कहा कि राहत का भोजन पाने का मतलब यह नहीं कि हम कीड़े खा ले. पेट भरने के लिये बाढ़ पीड़ित इतने लाचार नहीं है कि खाना के नाम पर जो मिले उसे खाते चले जायें. बदइंतजामी में सरकारी राहत सहायता बाढ़ पीड़ितों को आहत कर रहा है.