नयी दिल्ली / कोलकाता :ट्रेड यूनियनों की शुक्रवार को प्रस्तावित देशव्यापी हडताल से बैंकिंग, सार्वजनिक परिवहन और दूरसंचार जैसी आवश्यक सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने बेहतर वेतन और अन्य सुविधाओं पर सरकार के उदासीन रवैये तथा श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी बदलावों के विरोध में एक दिन की राष्ट्रव्यापी हडताल का आह्वान किया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समर्थित भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) को छोडकर अन्य सभी यूनियनों ने हडताल में शामिल होने का फैसला किया है. यूनियनों ने सरकार के उनकी मांगों पर विचार के आश्वासन तथा दो साल के बोनस की हालिया घोषणा और न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी को पूरी तरह ‘अपर्याप्त’ बताया है.
उधर बंगाल में आज तृणमूल कांग्रेस नीत राज्य सरकार ने हड़ताल का पक्ष नहीं लिया है. कथित तौर राज्य सरकार ने हड़ताल के दौरान तमाम सरकारी कर्मचारियों को कार्यालय आने का निर्देश दिया है जबकि आम लोगों को हड़ताल विफल करने की अपील की है. इधर राज्य में हड़ताल के पक्ष में माकपा समेत तमाम वामपंथी दल व संगठन हैं. यानी एक तरह से उपरोक्त मुद्दे को लेकर वामपंथी पार्टियां व राज्य सरकार आमने-सामने है.
राज्य में सीटू के अध्यक्ष श्यामल चक्रवर्ती ने कहा है कि हड़ताल का आह्वान श्रमिकों की मांगों को लेकर किया गया है. ऐसे में इसका विरोध करने का मतलब श्रमिकों के हित का विरोध करना है. यदि हड़ताल में बाधा दी गयी तो इसका परिणाम बाधा देने वालों को भुगतना पड़ेगा. हड़ताल का समर्थन करने वाले श्रमिकों पर दबाव देने की कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. चक्रवर्ती ने कहा है कि हड़ताल को विफल करने के लिए ही कथित तौर पर शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यभर में ‘सिंगूर उत्सव’ मनाये जाने की घोषणा की है.
हड़ताल को विफल करने की तमाम कोशिश बेकार साबित होगी. ध्यान रहे कि हड़ताल के समर्थन में गुरुवार को भी श्रमिक संगठनों की ओर से राज्यव्यापी प्रचार अभियान चलाया गया था. बताया जा रहा है कि शुक्रवार को भी वामपंथी दलों और संगठनों के प्रतिनिधिगण हड़ताल के समर्थन महानगर की सड़कों पर उतरेंगे और शांतिपूर्ण रूप से प्रचार करेंगे. राज्यव्यापी रैली निकाली जायेगी तथा कई जगहों पर सभा भी किये जाने की बात है.
हड़ताल को बीएमएस और आइएनटीटीयूसी को छोड़ कर सीटू, इंटक, एआइयूटीयूसी, एटक, यूटीयूसी प्राय: सभी श्रमिक संगठनों ने समर्थन किया है. सीटू नेताओं का आरोप है कि भाजपा नीत केंद्र सरकार और तृणमूल कांग्रेस नीत राज्य सरकार की नीतियों में कोई फर्क नहीं है. हड़ताल केंद्रीय सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ भी है. आरोप के अनुसार राज्य में हड़ताल का विरोध करना भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच अंदरूनी सांठगांठ को दर्शाता है. श्रमिक संगठनों द्वारा श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी करीब 18 हजार रुपये करने, ठेका प्रथा समाप्त करने, श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान किये जाने, महंगाई पर अंकुश लगाने समेत 12 सूत्री मांगें की गयी हैं.
* बंद नहीं होगा बंगाल: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दो सितंबर के बंद का कड़े शब्दों में विरोध करते हुए कहा है कि शुक्रवार बंगाल में कोई बंद नहीं होगा. मैं आम लोगों से अपील करती हूं कि दुर्गा पूजा आ रही है. विश्वकर्मा पूजा भी करीब है और पांच सितंबर को शिक्षक दिवस है. इसलिए चीजों को चलते रहने दें. बंगाल को आगे बढ़ायें. पहले ही काफी नुकसान हो चुका है. सुश्री बनर्जी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने पिछले कुछ साल में कोई बंद नहीं बुलाया है, क्योंकि उसे इसकी निरर्थकता समझ आ चुकी है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूजा बोनस की तरह बंद बोनस नहीं होना चाहिए. बंद से कोई समाधान नहीं निकलता. आपको सिर्फ प्रचार-प्रसार मिलता है. उन्होंने कहा कि वह हमेशा से श्रमिकों के साथ रही हैं. बातचीत के द्वारा समस्या का समाधान निकालने का प्रयास करें. बंद का वह किसी भी हाल में समर्थन नहीं करती हैं. मुख्यमंत्री ने बताया कि सभी मंत्रियों व विधायकों को बंद के दौरान अपने-अपने जिलों में रहने का निर्देश दिया गया है. अगर परिस्थिति बिगड़ती है तो वह उनसे संपर्क कर फैसला लें. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की अगुवाई में एक शुक्रवार को एक प्रतिनिधि मंडल इटली व जर्मनी जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार एक ऐसा कानून बनाने पर विचार कर रही है जिसके तहत बंद के दौरान संपत्ति को तहस-नहस करने वाले और उन्हें नुकसान पहुंचाने वाले लोगों को मुआवजे का भुगतान करना होगा. उन्होंने लोगों से कहा कि ट्रेड यूनियनों की हड़ताल के दौरान वे काम पर आयें. सुश्री बनर्जी ने कहा कि कानून कानून बनाने के मुद्दे पर मुख्य सचिव से मेरी चर्चा हुई है. उन्होंने कहा कि शुक्रवार को होने वाली हड़ताल के दौरान यदि किसी की गाड़ी या दुकान को नुकसान होता है तो सरकार मुआवजे का भुगतान करेगी. उन्होंने कहा कि दो सितंबर 2016 को बंगाल नहीं रुकेगा.
सभी शैक्षणिक संस्थाएं, दुकान, दफ्तर और कारखाने खुले रहेंगे. वाहनों की आवाजाही सामान्य रुप से होगी और सार्वजनिक परिवहन में कोई बाधा नहीं खड़ी की जायेगी. व्यवधान पैदा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की जन-विरोधी, देश-विरोधी और कामगार-विरोधी नीतियों के विरोध में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने शुक्रवार को देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है.