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हजारों श्रमिक हुए बेरोजगार
बाजार में मंदी, कच्चे माल की कमी का हवाला िदया प्रबंधन ने पानागढ़. दो सितंबर को आहूत आम हड़ताल के पूर्व ही बर्दवान जिले के कांकसा ब्लॉक स्थित बाबूनाड़ा औद्योिगक अंचल में मौजूद तीन लौह इस्पात कारखाने बंद हो गये. इनके बंद हो जाने से हजारों श्रमिक बेरोजगार हो गये हैं. प्रबंधन ने इसके िलये […]
बाजार में मंदी, कच्चे माल की कमी का हवाला िदया प्रबंधन ने
पानागढ़. दो सितंबर को आहूत आम हड़ताल के पूर्व ही बर्दवान जिले के कांकसा ब्लॉक स्थित बाबूनाड़ा औद्योिगक अंचल में मौजूद तीन लौह इस्पात कारखाने बंद हो गये. इनके बंद हो जाने से हजारों श्रमिक बेरोजगार हो गये हैं. प्रबंधन ने इसके िलये बाजार में मंदी तथा कच्चे माल की कमी का हवाला िदया है. दुर्गापूजा के पहले कारखानों के बंद िकये जाने से श्रमिकों में भारी आक्रोश है. उल्लेखनीय है िक आम श्रमिकों के हित की लड़ाई के िलये सीटू समेत अन्य केंद्रीय यूिनयनों ने दो सितंबर को आम हड़ताल का आह्वान िकया है. ठीक इसके पहले इन तीन लौह कारखानों के बंद कर दिये जाने से श्रमिकों के समक्ष रोजी-रोटी की भारी समस्या उत्पन्न हो गयी है.
बाबूनाड़ा औद्योगिक अंचल में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 19 इस्पात कारखाने हैं. इनमें कलस्टर, आरएस कॉनकास्ट एवं दुर्गापुर आयरन कारखाना प्रबंधन ने सामयिक रूप से बंद की विज्ञप्ति दी है.
कलस्टर प्रबंधन का कहना है कि कच्चे माल की कमी व बाजार मंदा रहने के कारण उत्पादन बंद िकया गया है. आरएस कॉनकास्ट प्रबंधन ने विज्ञप्ति में कहा है कि आगामी 30 सितंबर तक कारखाने का उत्पादन बंद रखा जा रहा है. उत्पादन शुरू करने से पूर्व बातचीत की जायेगी. दुर्गापुर आयरन कारखाना प्रबंधन का कहना है कि लौह बाजार में मंदी के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
इसी कारण िफलहाल उत्पादन बंद कर िदया गया है. इन कारखानों के बंद होने से यहां काम करने वाले करीब 25 सौ श्रमिक बेकार हो गये. हालांकि यूनियनों के हस्तक्षेप के कारण दुर्गापूजा के पूर्व बेकारी को लेकर आधा वेतन श्रमिकों को िदया गया है. जिला श्रमिक संगठन नेता प्रभात चटर्जी ने कहा कि मामले की जानकारी ली जा रही है. श्रमिकों का कहना है िक प्रबंधन ने सािजश के तहत कारखानों को बंद िकया है. सामने ही दुर्गापूजा है. एेसे समय में बेरोजगारी की मार झेलना उन्हें अखरने लगा है.
बोनस हड़पने के िलये कंपनियों ने यह खेल िकया है. मंदी एवं कच्चे माल की कमी का बहाना बनाया जा रहा है. अगर दुर्गापूजा के पहले तक उत्पादन शुरू नहीं होगा तो वे बच्चों के िलये नयी पोशाकें भी नहीं खरीद पायेंगे. अक्तूबर व नवंबर माह में त्यौहारों की भरमार रहती है. प्रबंधन ने श्रमिकों का त्यौहार िबगाड़ने की कसम खा िलया है .
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