मुंबई : हाजी अली दरगाह प्रबंधन ने बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने से पहले विचार-विमर्श शुरू कर दिया है. उच्च न्यायालय ने यहां मजार क्षेत्र में महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी हटा दी थी. एक सदी पुरानी दरगाह के न्यासी सोहैल खांडवानी ने आज बताया, ‘‘उच्च न्यायालय के फैसले के मद्देनजर इस मुद्दे पर हमने कल विस्तार से चर्चा की है और प्रबंधन के हर एक सदस्य की राय मांगी है. अन्य पक्षकारों के विचार जानने के लिए हम कई दौर की बैठकें करेंगे.” उन्होंने बताया कि शुक्रवार को धार्मिक विद्वानों के साथ बैठकें की जाएंगी और मुंबई तथा दिल्ली स्थित परिषदों से भी परामर्श लिया जाएगा जिसके बाद ही इस मुद्दे पर कोई अंतिम फैसला होगा.
भारतीय और इस्लामिक वास्तुकारी का अद्भुत नमूना हाजी अली दरगाह दरअसल सैयद पीर हाजी अली शाह बुखारी की मजार है. यहां पुरुषों को अबाधित प्रवेश मिलता है जबकि महिलाओं को साल 2012 तक मजार तक जाने की इजाजत थी लेकिन बाद में धार्मिक परंपराओं के नाम पर महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई थी. उच्च न्यायालय के आदेश के दो दिन बाद लैंगिक अधिकार कार्यकर्ता एवं भूमाता रंगरागिनी ब्रिगेड की प्रमुख तृप्ति देसाई रविवार को यहां चादर चढाने आई थीं लेकिन वे मजार तक नहीं गई थीं.