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शिक्षा साहित्य और कला के प्रति समर्पित थे ज्योति प्रकाश
मेदिनीनगर : पलामू साहित्य, कला के साथ-साथ शिक्षा की ज्योति जलाने में ज्योति प्रकाश ने अग्रणी भूमिका निभायी थी. कई पुस्तकों को लिखा, उस समय के बड़े साहित्यकारों से रिश्ते रहे. पलामू हिंदी साहित्य सम्मेलन की स्थापना में भी भूमिका रही थी. वह दौर था, जब एकीकृत बिहार के जमाने में मात्र तीन सिनेमाघर हुआ […]
मेदिनीनगर : पलामू साहित्य, कला के साथ-साथ शिक्षा की ज्योति जलाने में ज्योति प्रकाश ने अग्रणी भूमिका निभायी थी. कई पुस्तकों को लिखा, उस समय के बड़े साहित्यकारों से रिश्ते रहे. पलामू हिंदी साहित्य सम्मेलन की स्थापना में भी भूमिका रही थी.
वह दौर था, जब एकीकृत बिहार के जमाने में मात्र तीन सिनेमाघर हुआ करते थे, तब 1940 में उन्होंने मेदिनीनगर तब डालटनगंज में मोहन सिनेमा हॉल की स्थापना की थी.
उस दौर के नवनीत, ज्ञानोद्वय, कादंबनी पत्रिका के प्रमुख लेखक के रूप में उनकी पहचान थी. ज्योति प्रकाश की जयंती 30 अगस्त को है. पलामू में साहित्य कला और शिक्षा की सेवा की. बड़े साहित्यकारों से लेकर कलाकारों तक का रिश्ता पलामू से जोड़ा, यही कारण है कि कला के क्षेत्र में उन्हें कई सम्मान भी मिले थे. वह चाहते थे कि पलामू में एक बेहतर माहौल तैयार हो.
उनके जीवन पर पलामू हिंदी साहित्य सम्मेलन ने जो पुस्तक प्रकाशित की है, उसमें उन पत्रों का भी जिक्र है, जिन्हें साहित्यकारों ने ज्योति प्रकाश के नाम भेजा था. इन बडे नामों में रामधारी सिंह दिनकर, रामवृक्ष वेनीपुरी, शिवपूजन सहाय, हजारी प्रसाद द्विवेदी प्रमुख हैं. आमतौर पर व्यावसायिक परिवार से ताल्लुक रखने के बाद शिक्षा, साहित्य और कला के प्रति समर्पण का भाव रख पाना संभव नहीं होता, लेकिन स्वर्गीय ज्योति प्रकाश को जानने वाले लोग कहते हैं कि वह सामाजिक कार्यों को हमेशा प्राथमिकता दी.
चाहे दौर किल्लत का रहा हो, या फिर कोई परेशानी में भी वह जूझ रहे हों और बात साहित्य और शिक्षा से जुड़ी होती थी, तो उसमें तमाम परेशानियों के बाद भी वह पूरे जिंदादीली के साथ हिस्सा लेते थे. उन्होंने पलामू मे जनता शिवरात्रि कॉलेज की स्थापना में अपनी सक्रिय भूमिका निभायी थी, तब यह कॉलेज रेडमा दो नंबर टाउन में ज्योति प्रकाश जनता शिवरात्रि कॉलेज के नाम से चलता था. उन्होंने बड़े पुत्र आनंद शंकर के जन्म के साल मेदिनीनगर में आनंद शंकर बाल विद्या मंदिर की स्थापना की थी, जो बाद में रोटरी स्कूल आनंद शंकर हो गया है.
इसके अलावा सदर अस्पताल में टीबी वार्ड के निर्माण के साथ उनकी कई उल्लेखनीय कार्य हैं. उनके निधन के बाद उनके बडे पुत्र आनंद शंकर द्वारा मेदिनीनगर में ज्योति प्रकाश महिला बीएड कॉलेज के साथ-साथ उनके स्मृति में ज्योति प्रकाश विद्यापीठ खोला है, जिसमें क्लास चार तक के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है. पोशाक से लेकर किताब तक नि:शुल्क दिये जाते हैं. साहित्य, कला व शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने जो काम किया है, उसे और आगे बढ़ाया जाये, इसे लेकर उनके पुत्र आनंद शंकर भी सक्रिय हैं.
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