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पीएचइडी का शौचालय रहता गंदा, कहां जायें परदेसी
बांका : जिले की आबादी लगभग 23 लाख है, लेकिन जिलेवासियों के लिए जिला प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की सुविधा मुहैया नहीं करायी गयी है. चाहे सार्वजनिक जगहों पर शौचालय की सुविधा हो या पेयजल की. कहने को तो बांका जिला 11 प्रखंडों में बंटा हुआ है. इसमें सरकार की एक योजना […]
बांका : जिले की आबादी लगभग 23 लाख है, लेकिन जिलेवासियों के लिए जिला प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की सुविधा मुहैया नहीं करायी गयी है. चाहे सार्वजनिक जगहों पर शौचालय की सुविधा हो या पेयजल की. कहने को तो बांका जिला 11 प्रखंडों में बंटा हुआ है.
इसमें सरकार की एक योजना है कि जहां से यात्री सफर के लिए निकलते हैं या अत्यंत भीड़ भाड़ वाले जगहों पर शौचालय की व्यवस्था की जाती है, लेकिन जिले के किस भी प्रखंडों में बस पड़ाव व भीड़ भाड़ वाले जगहों पर सुलभ शौचालय की व्यवस्था नहीं है. इस शहर में एक भी शौचालय नहीं है जो है वह काम का नहीं है. आज पीएचइडी कार्यालय परिसर के सामने स्थित शौचालय की बात करें तो समझ में आता है कि इस शहर से जोलोग जाते होंगे वह क्या सोचते होंगे.
शौचालय में फैली है गंदगी
शौचालय के मुख्य गेट पर ही इतनी गंदगी फैली है कि आपको अंदर की सच्चाई का पता चल जायेगा. अंदर भी फर्श टूटे हुए है और जगह जगह पानी गिरा रहता है.
नहीं है दरवाजा
शौचालय का उपयोग करने जो जाते है उनको टूटे दरबाजे का सहारा लेना होता है. शौचालय का एक एक दरबाजा टूटा हुआ है और उसको पकड़ कर बैठना पड़ता है.
नहीं है पानी का इंतजाम
शौचालय का उपयोग करने वाले लोग खुद से पानी लेकर शौचालय जाते है अंदर में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. साथ ही शौचालय का पेन भी इतना गंदा और बदबूदार है कि एक बार शौचालय का उपयोग कर ले तो दूसरी बारनहीं जायेंगे.
पूरा नहीं हुआ है मधुलिमये का सपना
ओढ़नी डैम पर लाखों सैलानी पहुंचते हैं, जिसका शिलान्यास तत्कालीन सांसद मधुलिमये ने किया था. उक्त योजना के निर्माण के लिए तीन करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये थे. तत्कालीन सांसद ने उक्त डैम का निर्माण क्षेत्र के किसानों के लिए सिंचाई के साधन के तौर पर किया था, लेकिन उनके कार्यकाल के बाद से आज तक उक्त योजना पूरी नहीं हुई है. इसकी स्थिति काफी खराब हो चुकी है.
बांका. किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए तत्कालीन सांसद मधुलिमये ने ओढ़नी डैम का निर्माण की योजना का शिलान्यास किया था. उक्त योजना उस समय में ओढ़नी जलाशय योजना के नाम से थी, जिसकी प्राकल्लित राशि तीन करोड़ थी. उस वक्त बिहार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर थे. सत्तर के दशक में जिस योजना की शिलान्यास की गयी थी वह आज तक पूरी नहीं हुई है. लेकिन इस अधूरी योजना पर भी नये साल पर हजारों सैलानी पहुंचते हैं और पिकनिक मनाते हैं.
पिछले साल भी पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने किया था दौरा
नीतीश कुमार की पिछली सरकार के पर्यटन मंत्री जावेद इकबाल अंसारी के कार्यकाल में विभाग के इंजीनियर व कई अधिकारियों ने ओढ़नी डैम का दौरा कर इसको पर्यटक के लिए सुविधा युक्त स्थान बनाने का डीपीआर तैयार करने की बात कहीं गयी थी. डीपीआर में कुर्सी, कॉटेज, पार्किंग, बागबानी सहित पहुंच पथ और सुरक्षा के इंतजाम के लिए पुलिस पीकेट खोलने की योजना थी. लेकिन उनके कार्यकाल के बाद अब यह ठंडे बस्ते में चली गयी है.
कहां-कहां के पहुंचते हैं सैलानी :इस संबंध में ओढ़नी डैम के समीप के गांव बलिया मारा, कटेली, ककवारा, छत्रपाल, दुधिया तरी, खाबा, नुनिया बसार, गोडबा मारन, चौबटिया, खमारी सहित अन्य जगह के लोग नये साल पर ओढ़नी डैम पहुंचते है और जश्न मनाते हैं.
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